जे एम् रंगीला बोकारो नवाडीह से झारखण्ड मोबाइल वाणी पर बताया की सरकार ने १९७२ में निजी कोयला खानों का राष्ट्रीयकरन के कारन कई लोगो की जमीन छिन ली गई. मगर इस घटना के ४१ साल के बाद भी विस्थापितों को किसी भी तरह की मुआवजा नहीं दिया गया.रंगीला जी ने बताया की तुरियों पंचायत के ग्रामीणों की ४३.६५ एकड़ रेयती जमींन तथा ११२ एकड़ गैर मजरुवा जमींन बीसीसीएल ने अधिग्रहण किया हैं. राष्ट्रीयकरण के पश्चात ग्रामीणों को को कंपनी की तरफ से किसी भी तरह का मुआवजा प्राप्त नहीं हुआ तो वहां के ग्रामीणों ने विस्थापित संघर्ष समिति की घोषणा कर १९८२ में सी सी एल क्षेत्र की कल्याणी तथा तारिणी परियोजना का विरोध किया और आज भी इसकी चिंगारी देखने को मिलती हैं. विस्थापित संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष दुखन महतो जी से जे एम् रंगीला एवं वसुदेओ तुरी जी ने बात की और उन्होंने बताया की उनके गाव के सैकड़ो परिवार विस्थापित हुए हैं जिनको कम्पनी की तरफ से कोई मुआवजा प्राप्त नहीं हुआ हैं. दुखन महतो जी ने बताया की उनकी १५.८५ एकड़ जमीं अधिग्रहित की गए थी जो खता न.२२ में ३.९५ डिसमिल,खातानो ९ में २.९५ डिसमिल, खातान. ५ में ४.९५ डिसमिल,खातान.३४ में ४ एकड़ भूमि कम्पनी के द्वारा अधिग्रहित की गयी थी. विस्थापितों का आन्दोलन वर्षो से चला आ रह हैं मगर उन्हें हासिल कुछ भी नहीं हुआ हैं बस दर दर की ठोकर खाने को बेबस हैं.
