पश्चमीसिंहभूम ज़िले के चाइबासा से झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते हैं कि बाल यौन शोषण की घटना अधिकतर 8 साल के बच्चो से देखा जा सकता है। दुःख की बात तो यह है कि बच्चों के साथ हो रहे शोषण के खिलाफ माता-पिता भी समाज में अपने इज़्ज़त के डर से किसी से नहीं बोलते हैं। वे कहते हैं कि इस तरह की घटना से बच्चे कई तरह की यौनिक रोगो से ग्रसित हो जाते है जैसे एड्स आदि।