वासुदेव तुरी बोकारो नवाडीह से झारखण्ड मोबाइल वाणी को बताया की होली के आते ही पलाश के फूलो का महत्व बढ़ जाता हैं बच्चे इस से रंग टायर करते है जो उनके होली खेलने का काम करता हैं.परन्तु आधुनिक युग में इस रंग का कोई महत्व नहीं दिवा जाता हैं. आज तमाम लोग रासायनिक से बनावट रंग का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं.जो चेहरे पे लगने का बाद नुक्सान करता हैं.वसुदेओ तुरी जी होली खेलने वाले भाइयो से अपील करते हैं की वे इस रासायनिक रंगों कैस्तेमाल करने से बचे एवं प्राकृतिक रंगों का ही इस्तेमाल करे.
