बोकारो: नावाडीह, बोकारो से जे.एम्.रंगीला ने झारखण्ड मोबाइल वाणी पर एक कविता प्रस्तुत किया है: "जिसका शीर्षक है आँखे" आखें दुनिया है, आँखे दर्पण है, आँखे संदर्शी हैं,पर न जाने क्यों बधुओं को चलती चिता में भ्रष्टाचारियों के काले हाथ, अपराधियों के गंदे बाजु, शिशक्ति नारी की चीत्कारें, राजनेताओं की काली करतूतें,मालियों की गन्दी हरकते, इन सारे चीजों को भेदने के बजाये हो जाती स्वय बंद आँखे