जिला डुमरी, गिरिडीह से दशरथ महतो ने झारखंड मोबाईल वाणी के माध्यम से कहते है की प्रतिवर्ष लाखों भ्रूण कुछ हजार पैसों की खातिर नष्ट कर दिए जाते है जगह-जगह अस्पतालों में जाँच की आड़ में यह जघन्य अपराध किया जाता है अधिकतर वंश वृद्धि के नाम पर कन्या भ्रूण को पैदा नहीं होने दिया जाता है समाज में लडकियों को पराया धन समझा जाता है अधिकतर लोगों की मानसिक धारणा होती है की बेटा हो तो मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी बेटियों को समाज बोझ मानता है दहेज़ की मर से घबराकरमोक्ष प्राप्ति की चाह और बेटे का बापकहलाने की चाह में कन्या भ्रूण की बलि चढ़ा दी जाती है और इस अपराध में माता-पिता तो दोषी है ही साथ में इस काम को पेशा बनाने वाले लोग भी दोषी है इसलिए वर्तमान में जागरूकता फैलाने की जरूरत है लेकिन ये तभी सफल होगा जब समाज में आम आदमी की धारणा बदलेगी हमे विचारना होगा की पैदा होने से पहले ही एक मासूम की जान लेकर हम इंसानियत की हत्या कर रहे है इतिहास बताता है की नारियों ने देश की आन की रक्षा की है वर्तमान समय में भी नारियो ने उदाहरन पेश किये है इसलिए कन्या भ्रूण हत्या नहीं करना चाहिए।