जिला बोकारो से बादल कुमार झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि चिट्ठी का नाम सुनते ही हमारे मन में पोस्टमेन,लेटरबॉक्स का झलक सामने आ जाता है।चिट्ठी लिखने और पाने का अहसास एक अलग होता है।बताते है की 1999 में बहन की शादी थी और माँ के साथ बहन को चिट्ठी लिखा करते थे और चिट्ठी के इंतिजार में लग जाते थे।और जब चिट्ठी का जवाब आता था तो उसे पढ़ने का अहसास अलग होता था जो शब्दों में बया नहीं किया जा सकता है।आज इंटरनेट के समय में चिट्ठी पूरी तरह से खो गया है अपनों से बात करते के लिए अब केवल एक बटन दबाना पड़ता है।