जिला चतरा से पूनम देवी और आरती देवी झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से घरेलु हिंसा अधिनियम में संस्था किस प्रकार से कार्य करती और महिला की सहायता कैसे किया जाए इस विषय में पूनम देवी बताती है की घरो के अंदर जो परिवार वालो के द्वारा किया जाता है उसे घरेलु हिंसा कहा जाता है।हिंसा के मुख्य चार रूप है।शारीरिक हिंसा,मौखिक हिंसा,यौनिक हिंसा और मानशिक हिंसा साथ ही आरती देवी बताती है की शारीरिक हिंसा वैसे हिंसा को कहते है जो परिवार वालो के द्वारा महिला के साथ मारपीट करना,चोट पहुचना आदि शारीरिक हिंसा में आता है।और ऐसी बाते करना जो मन को परेशान करता है लोगो के द्वारा गलत आरोप लगाना मानशिक हिंसा में आता है।या किसी महिला का बच्चा नहीं होता है और उसे ताने कसा जाता है।और किसी बच्चे की शिक्षा को ले कर बात किया जाता है ये सभी मानशिक हिंसा में आता है।आर्थिक हिंसा जो किसी महिला के हक़ को छीनना,उसके आजादी को रोकना,शादी में मिले गहने को छीन लेना या परिवार वालो के द्वारा स्वास्थ से सम्बंधित किसी प्रकार का इलाज नहीं कराना ये हिंसा आर्थिक हिंसा कहलाता है।यौनिक हिंसा किसी भी महिला को पति के द्वारा अपना सम्पति समझना उसे पर हक़ जताना उसके मर्जी के बिना शारीरिक सम्बन्ध बनाना या किसी के मर्जी के बिना छूना ये सभी यौनिक हिंसा के दायरे में आता है।