झारखण्ड राज्य के बिष्णुगढ़ प्रखंड से राजेश्वर महतो मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि बिष्णुगढ़ प्रखंड के क्षेत्र के अधिकांशतः सुदूरवर्ती क्षेत्र में लोगों के स्वास्थ को बेहतर बनाए रखने के लिए बनवाया गया स्वास्थ्य केन्द्र आज धूल कर्ण खाता नजर आ रहा है। सरकार द्वारा करोड़ो रूपए की लागत से खर्च कर चिकित्सालय तो बनवाया गया है। लेकिन डॉक्टर के अभाव के कारण चिकित्सालय वीरान पड़ा हुआ है। जब गाँव में कोई व्यक्ति बीमार पड़ जाता है तो मजबूरन ग्रामवासियों को ईलाज के लिए उसे गाँव से कोसों दूर प्रखंड मुख्यालय में स्थित एकलव्य सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाना पड़ता है। यदि किसी को मलेरिया,बुखार,खासी,जुकाम,दुर्घटना या कोई बड़ी बिमारियों हो जाए तो लोगों को जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल का चक्कर लगाना पड़ता है। दूसरी ओर संसाधन के अभाव में प्रखंड मुख्यालय के अस्पताल में ज्यादातर मरीजों को सदर अस्पताल रैफर कर दिया जाता है। जहाँ डॉक्टर के ना रहने के कारण ईलाज के अभाव में मरीज की जान भी चली जाती है। क्षेत्र में देखा जाए तो कई वर्षों से डीटीसी का छिड़काव भी नहीं किया गया है। इस तरह की कई लचर व्यवस्था का सामना गाँव वालो को करना पड़ता है। दूसरी ओर बच्चों के लिए सरकार द्वारा प्रत्येक पंचायत स्तर पर आँगनबाड़ी केंद्र खोला गया है जहाँ छोटी-मोटी बिमारियों का इलाज निःशुल्क किया जा सके। लेकिन इस प्रखंड में यह देखने को मिलता है कि केवल नाम मात्र एक एएनएम दीदी आँगनबाड़ी केन्द्र में पहुँच कर सिर्फ बच्चों का टीकाकरण करने का ही कार्य करती हैं। अतः सरकार से ग्रामीणों का यह मांग है कि इस पर जल्द से जल्द जाँच कर व्यवस्था को सुचारू रूप से सही किया जाए।