जिला बोकारो,से अशोक कुमार अगरवाल ने झारखण्ड मोबाईल वाणी के माध्यम से कहते है कि आज जो महिला सशक्तिकरण कि बात हो रही है पंचायतो में आरक्षण लागु हो रहा है लेकिन जो भी महिला मुखिया है या सहिया है उन्हें सरकार द्वारा वेतन मानदेय मिलाना चाहिए कहा गया था कि सहिया को साईकिल मिलेगा लेकिन उन्हे साईकिल नहीं मिला और जो मुखिया है उन्हें 500 या 1000 रुपये का वेतन मिलता है ऐसी परस्थिति में महिलाये कैसे काम करेंगी और इसी कारन से महिलाये पुरुष पर निर्भर रहती है और अपने अधिकार का प्रयोग नहो कर पा रहे है सिर्फ कानून बबनने से और आरक्षण देने से सिर्फ नहीं होता है अगर कानून बना है आरक्षण बना है तो उसका इस्तेमाल भी होना चाहिए उन्हें शैक्षणिक होना चाहिए ट्रेनिंग मिलनी चाहिए और ये विधि व्यवस्था नहीं है इसलिए जो महिला सरपँच,मुखिया तो बनी है लेकिन वो कामयाब स्तर पर नहीं है इसलिए इन महिलाओ को पहले ट्रेनिंग ,आर्थिक मदद सामाजिक स्तर से सहयोग मिलनी चाहिए ताकि वो अपना पद का सही से इस्तेमाल कर सके