जिला हजारीबाग के सदर प्रखंड से दीपक कुमार सिंह ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है की महिलाओ को 50% आरक्षण दे देने से उन्हें राजनीती में भागीदारी नहीं मिल सकती है।बहुत सी महिलाए मुखिया,सरपंच,प्रमुख्य एवं जिला परिसद के अध्यक्ष बनी है पर वह मुखिया,सरपंच,प्रमुख्य जिला परिसद बन कर रह गई है क्योकि उनके कार्यो को उनके पति ही सँभालते है।और महिलाए अपनी विचारो के प्रति सतक नहीं रहती हैं।इसलिए जब तक महिलाए खुद में सक्षम नहीं रहती तब तक उन्हें आरक्षण नहीं देना चाहिए।इसका उदहारण पंचायतो में देखा जाता है महिला मुखिया का सारा निर्णय उनके पति सँभालते है उनका काम सिर्फ हस्ताक्षर करना रहता है। यदि महिलाए खुद अपने अधिकारो के प्रति सजग हो तभी उन्हें आरक्षण देने का उद्देश्य पूरा हो सकता है।