झारखण्ड से मज़दूरों के पलायन का एक लम्बा इतिहास रहा है, और पिछले कुछ दशकों में इसकी गति में और भी तेज़ी आई है. ग्रामीण इलाको के ग़ैर-कृषि क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध नहीं होना और इसके साथ-साथ देश के दूसरे हिस्सों में मज़दूरों की भारी मांग ने राज्य से मज़दूरों के पलायन को और भी तेज़ किया है। और इसी के साथ उन मज़दूरों के साथ दुर्घटनाएं भी उतनी ही तेज़ी से बढ़ी है। दोस्तों ,इस बार जनता की रिपोर्ट में भी हमनें यही बात की है कि झारखंड के प्रवासी श्रमिकों की मौत के बाद उजड़े परिवार, और इसके लिए जिम्मेदार कौन? तो आइए सुनते हैं आपने कुछ लोगों की राय जानी कि उन्हें किस तरह हालात का सामना करना पड़ रहा है। अब आप हमें बताएं कि पलायन करने वाले मजदूरों के परिवार किस तरह की दिक्कतों का सामना कर रहे हैं? यदि उनके साथ कोई हादसा हो जाता है तो क्या कंपनी के मालिक कोई मदद करते हैं? क्या स्थानीय प्रशासन ने उनकी सहूलियतों के लिए कभी कोई प्रयास किया?