छत्तीसगढ़ से वीरेंद्र गन्दर्भ झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से होली पर्व पर आधारित एक कविता प्रस्तुत कर रहे हैं। इस कविता के माध्यम से कहते हैं, कि पकवानो का स्वाद हो ढ़ोल और नगाड़े का नाद हो, धूम मचे ऐसी की वर्षों तक याद हो।
छत्तीसगढ़ से वीरेंद्र गन्दर्भ झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से होली पर्व पर आधारित एक कविता प्रस्तुत कर रहे हैं। इस कविता के माध्यम से कहते हैं, कि पकवानो का स्वाद हो ढ़ोल और नगाड़े का नाद हो, धूम मचे ऐसी की वर्षों तक याद हो।