झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग ज़िला के इचाक प्रखंड से टेकनारायण प्रसाद खुश्वाहा मोबाइल वाणी के माध्यम से सिक्योरिटी गार्ड पर होने वाले शोषण के विषय में बता रहे हैं, कि सिक्योरिटी गार्ड के पद पर नौकरी करने वाले लोग चाहे वो मकान,दूकान,ए.टी.एम,अस्पताल आदि में कार्य करते हो। इन्हें ठेकेदार द्वारा ही कार्य पर रखा जाता हैं। ठेकेदार को मिलने वाले मूल्य से भी कम वेतन पर सिक्योरिटी गार्ड की नियुक्ति होती हैं। आठ घंटे ड्यूटी में वेतन कम मिलने के बावज़ूद भी लोग मज़बूरी में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते हैं।इतना ही नहीं उन्हें उचित मूल्य से अधिक पोशाक आवंटित किए जाते हैं। देखा जाता हैं कि काम के दौरान इन्हें कोई न कोई अतिरिक्त शर्तों के साथ काम दे दिया जाता हैं। महीना भर काम करने के बाद अगर मजदुर अधिकारी द्वारा सौंपी गई शर्तों के आधार पर कार्य करने में विफल होते हैं तो उनके वेतन में से 100-200 रुपय शुल्क के रूप में काट लिया जाता हैं। इतने कम पैसे में मजदूरों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं, दिनचर्या इस्तेमाल होने वाली वस्तुएँ,खाद्य पदार्थ जुटाने में उन्हें काफ़ी परेशानी होती हैं। इस कारण सिक्योरिटी गार्ड को ओवरटाइम करना पड़ता हैं। परन्तु संचालक व मैनेजर द्वारा ड्यूटी लगवाने के लिए उन्हें रिश्वत देना पड़ता हैं। महीनें भर काम करने के बावज़ूद सिक्योरिटी गार्ड्स केवल 1000-1500 रुपय ही बचा पाते हैं।इतनी बचत होने के बावज़ूद भी घरेलु सामग्रीयों में ही उनका पैसा निकल जाता हैं।