झारखण्ड राज्य के धनबाद ज़िला से जे.एम रंगीला की झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव व किसान नेता श्यामसुंदर महतो से बातचीत हुई। श्यामसुंदर के अनुसार,1991 में नई आर्थिक व औद्योगिक नीति के लागू होने के बाद उद्योग बड़ी बड़ी प्राइवेट कंपनी द्वारा होने लगी। श्रम कानून में संशोधन होने से सही तरीके से मज़दूरी नहीं होती हैं एवं नौकरी के अभाव में झारखण्ड खनिज़ संपदा से परिपूर्ण होने के बावज़ूद लोग दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं।साथ ही मज़दूरों को दूरसे राज्य में जो वेतन मिलता हैं उससे भी कम उन्हें झारखंड में मिलता हैं इस वज़ह से मज़दूर पलायन कर दूसरे राज्य में नौकरी की तलाश करते हैं। झारखण्ड सरकार जो पलायन किए मज़दूरों के निबंधन के लिए कानून बनाए हैं उसके प्रति गंभीर नज़र नहीं आते हैं।न ही उनके पलायन होने का कारण के प्रति अपनी चिंता व्यक्त करते हैं। श्यामसुंदर ने बताया कि गोमिया प्रखंड में ही लगभग दस हज़ार मज़दूर पलायन किए हैं।वही पूरा ज़िला से लाखों की तादाद में लोग पलायन किए हैं। दुसरे राज्य में प्रवासियों के साथ शोषण होता ही हैं इसलिए प्रवासियों का सामाजिक सुरक्षा के लिए कानून बननी चाहिए।सरकार युवाओं को रोजगार देने में असमर्थ हैं।देश में पूँजीवादी संकट आने से व बेरोज़गारी बढ़ने से गुजरात में हुई हिंसा जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई हैं।