झारखंड राज्य के धनबाद ज़िला के बाघमारा प्रखंड से झारखंड मोबाइल वाणी के माध्यम से मदन लाल चौहान बता रहे है, कि मनुष्य द्वारा बनाए वस्तु से उसकी जाती की पहचान होती है। मिट्टी के दिया से पर्यावरण का ख्याल रख जा सकता है । प्लास्टिक से बने सामानो के बढ़ते प्रचलन से और मिट्टी ना मिल पाने से चाक की रफ्तार दिनों दिन धीमी होती जा रही है। चाक से बनाए गए बर्तन की लोगों के द्वारा सही दाम ना मिल पाने से कुम्हारों के इस पेशे से मोह भंग होते जा रहा है अगर यह समस्या बानी रही तो यह भी कहना सही होगा की चाक कि रफ़्तार थम जाएगी एवम आने वाले समय में कुम्हारों के नस्ल भी अनभिज्ञ रहा जाएंगे। अतः सरकार को इस पर गंभीरता से ध्यान देने की जरुरत है।