झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला के इचाक से टेकनारायण प्रसाद कुशवाहा मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि कुम्हार पर्यावरण को सुरक्षित रखने का काम करते हैं।गाँव देहातों में यह देखा जाता था कि लोग अपने घरों में कुम्हारों द्वारा निर्मित मिटटी के दिये में करंज का तेल या सरसों का तेल डालकर अपने घरों में रोशनी बिखरते थे।उस दिए से जो सुगन्ध और प्रकाश निकलता था वो कीड़ा मारने युक्त होता था। जिससे हमारा पर्यावरण शुद्ध होता था। परन्तु आज यह देखने को मिलता है कि लोग मिट्टी के दिए की जगह मोमबत्ती और चायनीज लाइट बत्ती का प्रयोग करते हैं। पर दीपावली पर्व का उद्देश्य केवल लाइट बत्ती जलाना ही नहीं बल्कि इसका मुख्य उद्देश्य मिट्टी के बर्तन में दीपक जलाने के बाद उसकी रोशनी से एक विशेष प्रकार का सुगन्ध निकलता है उससे हमारा पर्यावरण शुद्ध करने का था। अतः लोगों को हमेशा दीपावली में कुम्हारों द्वारा बनाए दिए का ही प्रयोग करना चाहिए।