झारखण्ड राज्य के धनबाद ज़िला के बाघमारा प्रखंड के महुदा क्षेत्र से राधु राय झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से हाथियों से सम्बंधित एक कविता की कुछ पंक्तियों के जरिएं बता रहे हैं की हाथियों द्वारा वन छोर गांव की तऱफ प्रवेश करने का मुख्य कारण भूख हैं। विकास के नाम पर पेड़ों की अंधाधुन्द कटाई से जंगली जानवरों को कई परेशानियाँ हो रही हैं। हाथियों का भी यही हाल हैं। उन्हें खाने युक्त वनों से मिलने वाली पर्याप्त फल उपलब्ध नहीं हो पा रहे इस कारण वो भोजन की तलाश में गांव की तरफ़ अपना रुख मोड़ रहे हैं। फसलों को रोंदते हुए गांव की तरफ़ आते हैं। जिससे किसान भाई खेती के नाम पे जो भी सपने संझोऐं रखते हैं वो पल भर में टूट जाते हैं। कई नुकसाने हो जाती हैं इसी कारण नई व्यापार के उद्देश्य से कुछ किसानें शहर की तरफ़ पलायन कर लेते हैं।सरकार मुआवज़े के नाम पर कुछ रुपय किसानों को प्रदान करते हैं जो नुकसान की भरपाई हेतु पर्याप्त नहीं होते। कई बार निराशा इस तरह हावी हो जाता हैं कि आत्महत्या जैसे क़दम उठाने को किसान मज़बूर हो जाते हैं। सरकार को इन समस्याओं पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिएँ। क्षतिपूर्ति के लिए सरकार को उचित मुआवज़ा किसानों को प्रदान करनी चाहिएँ। हाथियों को भगाने के लिए कई बार गांव वाले विशेषज्ञ को बुलाते हैं जो मसाल व वाद्ययंत्र की ऊंचे आवाज़ों के ज़रिए हाथियों के झुंड को खदेड़ने का नुस्ख़ा अपनाती हैं। उनके क्षेत्र में भी एक बार एक भूखा हाथी प्रवेश कर गया और जो भी खाद्यपदार्थ उसके नज़र में आया सारा चट कर गया।