झारखण्ड राज्य के हजारीबाग जिला से बलराम शर्मा झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि त्याग, तपस्या एवं कठिन परिश्रम का दूसरा नाम किसान है। हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है जहां लगभग सत्तर प्रतिशत जनसंख्या आज भी खेती पर निर्भर है। यही वजह है कि हमारे देश में जहां भी देखो गांव ही गांव एवं दूर-दूर तक फैले हुए खेत नजर आते हैं। तपती धूप हो या कड़ाके की सर्दी पड़ रही हो किसान अपने खेतों में काम करते हुए दिखते हैं । किसानों की पूरी जिंदगी मिट्टी से सोना उपजाने की कोशिश में निकल जाती है।किसानों का मुख्य व्यवसाय कृषि अर्थात खेती होती है और मेहनती किसान बिना किसी शिकायत के अपने खेतों में मेहनत करता रहता है।खेतों में फसल उपजाना कोई आसान काम नहीं और फसल की बुआई, फसल की देखभाल, उसकी कटाई और फिर तैयार फसल को बाजार में बेचने जैसी तमाम कोशिशें किसानों को लगातार करते रहना पड़ता है।परन्तु इतनी कड़ी महेनत के बाद भी किसानों को उत्पादित फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पता है। यह कहानी है झारखण्ड राज्य के हजारीबाग जिला की जहाँ पर मौसम के अनुसार अधिक मात्रा में किसान सब्जी की खेती करतें हैं।यहाँ पर मुख्य रूप से टमाटर , भिंडी ,खीरा ,लौकी करेला तथा आलु का खेती की जाती है , परन्तु जब किसान अपने द्वारा उपजाए हुए सब्जी को जिला के मंडी में बेचने जाते हैं, तो उन्हें मजबूरन मंडी के साहूकार को कम मूल्यों में सब्जी बेचना पड़ जाता है। जिसका ख़मियाज किसानों को उठाना पड़ता है, जिससे उनका पूरा परिवार प्रभावित होता है। अतः सरकार को जिला के मंडियों में सरकारी कर्मचारी की नियुक्ति करनी चाहिए तथा फसलों का उच्च समर्थन मूल्य एवं आसान ऋण की उपलब्धी सरकार को सुनिश्चित करनी चाहिए।