झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला से सुषमा कुमारी जी ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि धान की खेती के लिए पानी की सर्वाधिक आवश्यकता है। धान की अच्छी उपज लेने हेतु खेत में हमेशा पानी भरा रहना आवश्यक नहीं है।गंदगी ,बांध या प्रदूषित जल से सिंचाई नहीं करना चाहिए।अन्यथा फसल पर गहरा प्रभवा पड़ता है।धान कि खेती पर समय समय पर अलग -अलग बीज को बोया जाना चाहिए । ताकि खेत की मिट्टी का उर्वरक हमेशा अधिक बना रहे और धान का फसल अच्छा हो। मिट्टी के अनुसार कम रासायनिक खाद का उपयोग किया जाना चाहिए। ताकि इस रासायनिक पदर्थ से मिट्टी की उर्वरक क्षमता को ना खींच सके और फसल का नुकसान न हो। खर-पतवार तथा सुखी लकड़ियों को जलाकर मिट्टी में खाद के रूप में उपयोग किया जाना चाहिए । समय के अनुसार धान का बीज बोया जाना चाहिए। इस प्रकार के विधियों का प्रयोग करने से, धान के फसल की पैदावार क्षमता अधिक होती है। फसल अच्छा होता है।