झारखण्ड राज्य के बोकारो ज़िला के नवाडीह प्रखंड से सुमंत कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि दामोदर नदी घाटी के दायरे के किनारे में कई जिले बसे हुवे हैं। इसके पानी पर लाखों लोगों का जीवन निर्भर है। औधोगिक कारण एवं शहरीकरण में इसे दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित नदियों में शामिल कर दिया गया। अब दामोदर नदी का किनारा काला रेगिस्तान बनने के कगार पर है।भारत सरकार ने बहुउद्देशीय दामोदर परियोजना की घौषणा की थी। इसकी हकीकत को बया करने के लिए नदी के किनारे बसे बदहाली की दास्तान ही काफी है।दामोदर नदी का पानी अब पीने के लायक नहीं रह गया है।पीने की बात तो दूर, पानी इतना कला और प्रदूषित है कि लोग यहां नहाने से भी कतराते हैं। इस प्रदूषण के जिम्मेदार कलकारख़ाने और खदान है। प्रदूषण का आलम यह है कि नदी में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा औसत से काफी कम है। पहले इस नदी की यह मान्यता थी की इस पानी में नहाने मात्र से सभी तरह के चर्म रोग दूर हो जाते थे। परन्तु आज यह जीवनदायनी नदी लोगों के मौत का कारण बनता जा रहा है।