झारखंड राज्य के बोकारो ज़िला से सुमंत कुमार जी ने झारखंड मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि आज हमारी आधुनिक शिक्षा-व्यवस्था उचित नहीं, क्योंकि छोटे -छोटे बच्चों को उनके वजन के बराबर पुस्तकों का सिलेबस देकर उन्हें मानसिक रोगी बनाया जा रहा है। आज की शिक्षा एक शहरी, प्रतिस्पर्धी उपभोक्ता समाज के मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए उन्मुख है. हम वास्तव में एक बेहतर भविष्य को लेकर चिंतित है।छात्र अपना जीवन का 10-20 वर्ष पढ़ाई में गुजार देतें है।परन्तु उन्हें केवल एक डिग्री के अलावा कुछ नहीं मिल पता है। बाद में छात्र सरकारी कर्मचारी बन जातें हैं।गुरुकुल को केवल इस लिए बंद कर दिया गया था क्योंकि विद्द्या को जानने वाले स्वाभिमान होते थे। जो की नौकर बन कर गुलामी करना नहीं पसंद करते थे।अतः शिक्षा प्रणाली का उद्देश्य को फिर से परिभाषित किया जाना चाहिए। तभी वर्तमान शिक्षा का भविष्य बदल सकेगा है।