झारखण्ड राज्य के धनबाद जिला के प्रखंड बाघमारा से बीरबल महतो जी झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते हैं कि झारखण्ड राज्य कई प्रकार के खनिज सम्पदा से परिपूर्ण है और यह प्राकृतिक प्रदेश के नाम से जाना जाता है। यहाँ पर अनेक प्रकार के खेती भी की जाती है और यहाँ पर कृषि कार्य के लिए जमीन भी उपलब्ध है। यहाँ की 70 फीसदी से अधिक आबादी ग्रामीण क्षेत्रों मेंं निवास करती है व कृषि ही उनकी आजीविका का मुख्य साधन है। इसलिए कृषि का विकास व किसानों की समृद्धि राज्य के विकास की दृष्टि से अतिआवश्यक है परन्तु यहां के लोगों को लाह की खेती की जानकरी प्रप्त नहीं है।राज्य में लाख कीटों के परिपालक कुसुम, बेर व पलाश बहुतायत में उपलब्ध हैं, लेकिन इनका उपयोग लाह की खेती के लिए पूर्ण रूप से नहीं हो रहा है। किसान इन अनुकूल परिस्थितियों का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं ।वे कहते हैं कि मौसम में बदलाव के कारण सामान्य कृषि पैदावार पर जो विपरीत प्रभाव पड़ता है , उसकी भरपाई के लिए लाह की खेती बेहतर विकल्प है। अगर सरकार लाह की खेती के लिए गंभीर हो जाती है और किसानों को इस की जानकारी मुहैया करती है, तो किसानों को रोजगर के नए साधन उपलब्ध होंगे और वे पालयन भी नही करेंगे।