झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला से सुमंत कुमार जी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि झारखण्ड राज्य वनों का परदेश है।यहाँ पर अधिक भूमि जंगलों से घिरी हुई है।झारखण्ड राज्य में 53 % लाह का उत्पादन होता है। झारखण्ड राज्य को लाह की खेती के मामले देश में प्रथम स्थान प्रप्त है। वे कहते हैं कि राज्य सरकार अगर युवाओं और किसानों को लाह की खेती से जोड़ती है, तो राज्य में लाह की खेती से युवाओं को रोजगार के नए साधन उपलब्ध होगें। परन्तु इस के लिए राज्य सरकार को योजना निकाल कर युवाओं को लाह की खेती से जोड़न होगा और सरकार द्वारा युवाओं को प्रोत्साहित करना होगा। लाह की खेती के लिए कुसुम ,बेर ,पलास पीपल आदि के पेड़ों को अधिक मात्रा में पठारी भूमि में लगा कर लाह की खेती की जा सकती है। इस कारण भूमि की उपयोगिता भी बढ़ जएगी और योवओं में रोज़गार के नए साधन भी उपलब्ध होगें।और युवाओं में आत्मनिर्भरता भी आएगी साथ ही इससे आमदनी के स्रोत भी उपलब्ध होगें। लाह की खेती करना बहुत ही आसन है, और इसे महिलाएँ भी आसनी से कर सकती है। और इससे राज्य में बेरोजगारी की समस्या भी कम होगी ।