झारखण्ड राज्य के धनबाद ज़िला के बाघमारा प्रखंड से मदन लाल चौहान मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि झारखण्ड सरकार लोगों को रोजगार देने के नाम पर वोट बैंक तैयार करती है। परन्तु जब सरकार बनती है, तो वे अपने सारे वादों को भूल जाते है। उदाहरण स्वरूप झारखंड में मेधा डेयरी को 2013 में यह ज़िम्मेवारी दी गई थी कि झारखण्ड राज्य सहकारी दुग्ध उत्पादन संरक्षक से दुग्ध उत्पादन के लिए ग्रामीणों को जोड़ा जाएगा। जिससे स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार मुहैया हो सके।किन्तु गांव एवं पंचायत को इस संरक्षक से ना जोड़कर शहर वासियों को इसका लाभ दिया गया।लेकिन वह भी नदारत साबित हुआ। दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में बेरोजगारों को रोज़गार मिल सकती थी। परन्तु इस क्षेत्र में भी बिचौलियों को ही लाभ प्राप्त हुआ और जिन बेरोजगारों को रोज़गार देना था उन्हें वंचित रखा गया। आज बेरोजगार युवा रोज़गार की तलाश में अन्य राज्यों में पलायन करने को विवश हो रहे हैं।