झारखण्ड राज्य के धनबाद जिला के बाघमारा प्रखंड से बीरबल महतो मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि, होली की फूहड़ता जायज नहीं है। होली हसीं-ख़ुशी और रंगों का त्यौहार है। यह हमें अनेकता में ऐकता का प्रतीक बताता है। कई रंगों से होली खेला जाता है परन्तु होली के एक दिन पूर्व होलिका दहन मनाया जाता है। जिसमे बुराइयों को जला कर अच्छाईयों को अपनाने का रिवाज़ है। एक पुराणी कथाओं के अनुसार हिरण्यकश्यप की बहन होलिका वरदान पा कर बलशाली बन गई थी। और अहंकार मन होने के कारण प्रहलाद को जलाने की इच्छा लेकर उसे अपने गोद में ले अग्नि में बैठी जिसमे प्रहलाद की जान बच गई और अहंकारी होलिका अग्नि में जल गई। इस प्रकार प्रत्येक वर्ष होली के एक दिन पहले होलिका दहन मनाया जाता है। और दूसरे दिन अपने मन की बुराइयों को भूल लोग उत्साह के साथ होली मनाते हैं।