धनबाद जिले के बाघमारा प्रखण्ड, से बीरबल महतो जी झारखंड मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि सभी माता-पिता को अपने बच्चों का सहयोग करना चाहिए।जब बच्चे किशोवास्था में हो तो उनकी भावनाओं को समसझना चाहिए।और बच्चो को समझने में माँ का सबसे ज्यादा सहयोग होना चाहिए। क्योंकि माताये अपनी किशोर बच्चियों के बारे जितना जान सकती है, उतना उनके पिता नहीं जान सकते।किशोवास्था में बहुत सी ऐसी अड़चने आती है जिससे लड़कियाँ घबरा जाती है। ऐसी स्थिति में उन्हें साँत्वना देना चाहिए और साथ-ही-साथ स्कूल भी भेजना चाहिए। और उन्हें शिक्षित करना चाहिए ताकि बाल विवाह रुके।साथ ही जबतक बच्चे परिपक्व ना हो जाये उनकी शादी नहीं करनी चाहिए।