झारखंड के धनबाद जिला से बीरबल महतो जी झारखंड मोबाईल वाणी के माध्यम से कह रहे है कि बाल विवाह का अर्थ लिंग में भेदभाव करना होता है।आज के ज़माने में भी अज्ञानता के कारण लड़कियों की जल्दी शादी करा कर उनसे छुटकारा पाना, जो की हमारे देश के लिए बहुत ही शर्मनाक है।लड़का हो या लड़की दोनों समान होते है और अगर सही शिक्षा मिले तो लड़कियाँ किसी भी काम से पीछे नहीं हटती है।लड़का और लड़की गाड़ी के दो पहिये के समान होते है, जिस प्रकार अगर गाड़ी का एक पहिया पंक्चर होने से गाड़ी सही प्रकार से नहीं चलती है। ठीक उसी प्रकार सभी को लड़का और लड़की को समान मानकर पढ़ाना-लिखाना चाहिए।और सही समय पर ही उनकी शादी करनी चाहिए।अन्यथा पूरा परिवार ही परेशान हो जाता है। परिवार को सही रूप से चलाने के लिए लड़का की उम्र 21 वर्ष और लड़की की उम्र 18 वर्ष होने के बाद ही शादी करनी चाहिए।लड़कियों को कमजोर नहीं समझाना चाहिए क्योंकि आज के समय में लड़कियां डॉक्टर, इंजीनियर और कलेक्टर भी बन सकती है।