हजारीबाग इचाक से तेजनारायण प्रसाद कुशवाहा जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि कुम्हार जाति के लोगों का हस्तशिल्प कला धीरे-धीरे लुप्त होने की कतार पर नजर आ रहा है। कुम्हार जाति के लोगों द्वारा निर्मित मिट्टी के बर्तन देश के विभिन्न भागो में भेजी जाती थी।लेकिन अब यह बंद होने के स्तर पर पहुंच चूका है। इस बर्तन को बनाने में जो लागत लगती थी वो आज के इस महंगाई के समय मे खरे नहीं उतर रही हैं और उन्हें मजदूरी के बराबर भी फ़ायदा नहीं होता है। आज के समय में तरह तरह के बर्तन बनाये जा रहे हैं जो टिकाऊ होते हैं।