पूर्वी सिंहभूम पोटका से सुबोध कुमार भगत मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि कुम्हार जाति के लोगों का हस्तशिल्प कला धीरे-धीरे लुप्त होने की कतार पर नजर आ रहा है।क्योकि पोटका प्रखंड में बसे कुम्हार जाति के लोगों द्वारा निर्मित मिट्टी के बर्तन देश के विभिन्न भागो में भेजी जाती थी।लेकिन अब यह बंद होने के स्तर पर पहुंच चूका है। इस बर्तन को बनाने में जो लागत लगती थी वो आज के इस महंगाई के समय मे खरे नहीं उतर रही हैं। जिसके कारण मजबूरन लोग मिट्टी के बर्तन को बना कर बेचना बंद करके अन्य रोजगार के लिए दूसरे जगह में पलायन कर रहें हैं।अतः सरकार कुम्हार भाइयों द्वारा बनाई जाने वाली हस्तशिल्प कला को बढ़ाने की व्यवस्था करें।साथ ही वन विभाग अधिकारीयों भी कुम्हार भाइयों को जलावन के लिए लकड़ी मुहैया करें। ताकि वे लोग अपने मिट्टी के बर्तन बनाने की प्रक्रिया को जारी रख सकें जिससे हस्तशिल्प कला लुप्त होने से बच सके।