तेजनारायण जी हज़ारीबाग से मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि दहेज़ प्रथा एक कुरीतियाँ है जो समाज में फैली हुई है। एक जमाना था जब बिना दहेज़ के विवाह हुआ करता था। लड़कों को छः -छः महीना तक कन्या के घरों में हल चलाते थे