बिहार के पटना जिला से रंजन कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से बोल रहे है कि स्वास्थ्य संकेतकों में सुधार के लिए जन्म एवं मृत्यु का ब्योरा अनिवार्य होता है. इसके लिए आईसीडीएस निदेशक आलोक कुमार ने राज्य के सभी आईसीडीएस जिला कार्यक्रम अधिकारियों को पत्र लिखकर इसके विषय में दिशा निर्देश जारी किया है। वीएचएसएनडी पर जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अनिवार्य : पत्र के माध्यम से बताया गया है कि पूर्व में विकास आयुक्त की अध्यक्षता में संपन्न जीवनांक सांख्यिकी से संबंधित राज्य स्तरीय अन्तर्विभागीय समन्वय बैठक में नियमित रूप से ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस(वीएचएसएनडी) पर आंगनवाड़ी सेविकाओं द्वारा जन्म एवं मृत्यु का पंजीकरण करना अनिवार्य किया गया था. लेकिन इसके संबंध में निर्देश के अनुपालन में कमी देखी गयी है. पत्र के माध्यम से बताया गया है कि जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण के साथ इसकी नियमित समीक्षा भी होना अनिवार्य है। इसमें प्रगति लाने के लिए सभी जिलों के जिला कार्यक्रम अधिकारी आईसीडीएस को निर्देशित किया गया है। साथ ही जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण को शत-प्रतिशत सुनिश्चित करने एवं इसकी नियमित समीक्षा कर रिपोर्ट को जिले के संबंधित शाखा में जमा करने के भी निर्देश दिए गए हैं। इसलिए जरुरी है जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण : स्वास्थ्य संकेतकों में सुधार के लिए जन्म एवं मृत्यु का पंजीकरण एवं इसकी समीक्षा को जरुरी माना गया है। स्वास्थ्य नीतियों में जरुरी सुधार, स्वास्थ्य कार्यक्रमों की जरूरत , स्वास्थ्य सुविधाओं की गुणवत्ता में सुधार एवं क्षेत्र की स्वास्थ्य स्थिति को जानने एवं जरुरी उपाय कार्यान्वित करने के लिए जन्म एवं मृत्यु का पंजीकरण एवं इसकी नियमित समीक्षा करना जरुरी है. सप्ताह में दो दिन बुधवार एवं शुक्रवार को सभी उपकेंद्रों या आंगनवाड़ी केन्द्रों पर ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस(वीएचएसएनडी)मनाया जाता है। इस दिन गर्भवती महिलाओं के प्रसव पूर्व जाँच, बच्चों का टीकाकरण के साथ स्वास्थ्य एवं पोषण पर महिलाओं को परामर्श दिया जाता है. इसलिए इस दिन आसानी से जन्म एवं मृत्यु का पंजीकरण किया जा सकता है। साथ ही मृत्यु पंजीकरण की सहायता से मौत की समीक्षा कर जरुरी उपाय किये जा सकते हैं।