"बच्चों के जीवन भर की यात्रा में उनकी सुरक्षा, संरक्षण और खुशहाली सुनिश्चित करें ": नफीसा शफीक, यूनिसेफ रेलवे सुरक्षा बल (RPF), CHILDLINE और यूनिसेफ ने बिहार के 11 रेलवे स्टेशनों पर ‘सुरक्षित सफर’ की शुरुआत की वापस लौटते हुए प्रवासियों के बीच संकटग्रस्त बच्चों को सहयोग एवं सुरक्षा प्रदान करने का प्रयास पटना, 8 मई 2021: सुरक्षित सफर - प्रवासी बच्चों और परिवारों के सहयोग के साथ उन तक पहुंचने के एक संयुक्त पहल की शुरुआत आज रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF), CHILDLINE और UNICEF द्वारा एक ऑनलाइन ओरिएंटेशन के माध्यम से की गयी । बिहार में 11 रेलवे प्लेटफार्मों पर 150 से अधिक युवा मोबिलाइज़र तैनात किए गए हैं। वे COVID-19 उपयुक्त व्यवहार (CAB) के बारे में जागरूकता बढ़ाने में रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और CHILDLINE की सहायता करेंगे और वापसी करने वाले प्रवासियों के बीच से उपेक्षा, दुरुपयोग और शोषण के प्रति संवेदनशील बच्चों और महिलाओं की पहचान करेंगे। वे उन्हें तत्काल सहायता (भोजन, चिकित्सा, अन्य आवश्यक जानकारियों ), के साथ-साथ उनकी सुरक्षा और कल्याण हेतु विशिष्ट सेवाएं प्रदान करने के लिए उपलब्ध कोविड देखभाल और बाल संरक्षण सेवाओं से जोड़ेंगे। यह जानकारी यूनिसेफ बिहार के बाल संरक्षण अधिकारी, गार्गी साहा ने प्रदान किया । 11 रेलवे स्टेशनों में गया, नरकटियागंज, मुजफ्फरपुर, कटिहार बक्सर, हाजीपुर, भागलपुर, दरभंगा, पटना जंक्शन, राजेंद्र नगर और छपरा शामिल हैं। यह पहल के अंतर्गत जीआरपीएफ, आरपीएफ, चाइल्डलाइन जैसे सहयोगी विभागों एवं संगठनों और यूनिसेफ के प्रतिनिधियों का ऑनलाइन माध्यम से उन्मुखीकरण किया गया। पिछले साल COVID -19 के कारण रिवर्स माइग्रेशन के कारण बाल शोषण की घटनाओं में वृद्धि देखी गयी, जिसमें बाल श्रम, तस्करी, घरेलू हिंसा जैसे जोखिम शामिल थे। COVID 19 की दूसरी लहर के दौरान, बच्चे और युवा तेजी से प्रभावित हो रहे हैं। इस पहल का लक्ष्य लगभग 10 लाख प्रवासियों तक पहुंचना है, जिनमें बड़ी संख्या में बच्चे और किशोर शामिल हैं। "महामारी के कारण पैदा हुआ आर्थिक संकट और पलायन, बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन कर रहा है। रेलवे स्टेशन महत्वपूर्ण प्रवेश बिंदु हैं, जिसके माध्यम से हम संवेदनशील बच्चों और महिलाओं की पहचान कर सकते हैं और तत्काल और दीर्घकालिक सहयोग प्रदान कर सकते हैं”, सुश्री नफीसा बिन्ते शफिक, यूनिसेफ, बिहार के प्रमुख ने कहा। सरकार और अन्य हितधारकों को बच्चे के पूरे जीवन चक्र के दौरान उनकी सुरक्षा और खुशहाली सुनिश्चित करना है। मुज़फ़्फ़रपुर के एसपी रेल अशोक कुमार सिंह ने कहा, "हम महिलाओं और बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन करने वाले लोगों के प्रति एक उदाहरण स्थापित करने के लिए सभी भागीदारों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, ताकि इन मामलों की अभियोजन और सजा की दर बढ़ सके"। उन्होंने लोगों से यह आग्रह किया कि पुलिस की मदद करें । सुश्री बीना कुमारी, एसपी, सीआईडी (कमजोर वर्ग), ने कहा, "बाल अधिकारों के उल्लंघन के मामलों को देखने के लिए प्रत्येक पुलिस स्टेशन में एक बाल कल्याण पुलिस अधिकारी (सीडब्ल्यूपीओ) होना चाहिए।" उन्होंने आगे बताया कि कर्मियों को बाल मनोविज्ञान की समझ होनी चाहिए ताकि बच्चों में यह विश्वास पैदा हो कि पुलिस और अन्य नामित अधिकारी उनकी ज़रूरत पड़ने पर उनकी मदद करने के लिए हैं।