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देश में हर साल 26 नवम्बर का दिन संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है ! यह संविधान ही है जो हमें एक आजाद देश का आजाद नागरिक की भावना का एहसास कराता है। जहां संविधान के दिए मौलिक अधिकार हमारी ढाल बनकर हमें हमारा हक दिलाते हैं, वहीं इसमें दिए मौलिक कर्तव्य में हमें हमारी जिम्मेदारियां भी याद दिलाते हैं। 26 नवंबर 1949 का दिन आजाद भारत के इतिहास का बड़ा ऐतिहासिक दिन था!

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कोई भी जागरूक नागरिक यह जानता है कि लोकतंत्र में वोट की क्‍या कीमत है. वोट का अधिकार ही वह बुनियादी अधिकार है, जो लोकतंत्र में हमारी हिस्‍सेदारी और हमारे नागरिक अधिकारों को सुनिश्चित करता है। दुनिया भर की महिलाओं को यह अधिकार लंबी लड़ाई के बाद हासिल हुआ है।

भारत में पहली बार अग्रेजों की सरकार ने 1931 में में भी जातिगत जनगणना कराई थी और उसी के आधार पर आजतक जाती गत आरक्षण दिया जाता रहा है। आधुनिक आजाद भारत में समाजिक आर्थिक और जनसंख्या का पता लगाने के लिए अनेकों बार जनगणना तो होती रही है लेकिन जाति के आधार पर नागरिकों की गिनती आज तक नहीं हुई है।

बीते अगस्त की आखिरी शाम को खबर आई कि सरकार सितंबर महीने की 18-22 तारीख को संसद के विशेष सत्र का आयोजन करेगी, संसदीय कार्य मंत्री ने घोषणा की, लेकिन इस विशेष सत्र का एजेंडा क्या है वह नहीं बताया। विशेष सत्र के आयोजन की खबर के बाद से मीडिया से लेकर राजनीति के हर हल्के में कानाफूसी है कि सरकार ये कर सकती है, वो कर सकती है लेकिन पुख्ता तौर पर कोई भी जानकारी किसी के पास नहीं है कि सरकार क्या करने जा रही है।

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मेरी भी आवाज़ सुनो कार्यक्रम के अंतर्गत इस कड़ी में महिलाओं के लिए संपत्ति और भूमि पर अधिकार के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई।महिलाओं के लिए संपत्ति और भूमि पर अधिकार महिलाओं के अधिकार पर चर्चा की गयी है । अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।

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