मेरा नाम मरजिल कुमार है , मैं कक्षा सागर में पढ़ रहा हूँ , मेरे स्कूल का नाम सम विद्यालय डिगरा है , मैं आप सभी को एक साथ बताने जा रहा हूँ । मैं आपको संस्कृत में जो कविता पढ़ने जा रहा हूं , वह है मिग्वतम चाइ पाठ है वटल कराचना स्वदेश पूज्य आपका विद्वान सर्वत पूज्य था । उपदेश स्वयं मुर्गे के प्रकोप में चुप रहता है । सौना का प प्रियव केवलंगसा ना सुक्तभेशन नया पंडित है दस सौ होल समारम की साद पदी और जनंदे और पास । शांति सठे पसेन्टी पंडित क्यारी पसेन्टी राजन सती व्यामित्रे आत्ममुख जैसे बद्यांती सुखसारा का बाका सच्या न बद्यांता में । सभी साधन घर के दरवाजे पर या दरवाजे पर उपलब्ध हैं ।