भूल गया है क्यो इंसान सबकी है मिट्टी की काया सब पर नभ की निर्मल छाया, यहां नहीं है कोई आया, ले विशेष वरदान भूल गया है क्यों इंसान।
भूल गया है क्यो इंसान सबकी है मिट्टी की काया सब पर नभ की निर्मल छाया, यहां नहीं है कोई आया, ले विशेष वरदान भूल गया है क्यों इंसान।