राज्य सरकार को विभिन्न संभागों से प्राप्त होने वाली आय एवं सरकार द्वारा वसूले गए सभी प्रकार के कर और शुल्क, निवेशों पर प्राप्त ब्याज और लाभांश तथा विभिन्न सेवाओं के बदले प्राप्त रकम को राजस्व कहा जाता है। लेकिन जिला केन्द्र मे स्थित विभिन्न राजस्व कार्यालयों मे व्याप्त अव्यवस्था एंव अधिकारियो और कर्मचारियो के तानाशाही रवैया और रिष्वतखोरी आखिर क्यों देखी जाती है? कार्यालयों में प्रत्येक छोटे बड़े काम के लिये पैसे की उगाही आम बात हो गई है? सरकार, अनेक अधिकारियो और कर्मचारियो के नाम से शिकायत दर्ज करते हुए उनके विरूद्ध निंदा प्रस्ताव पारित करती तो है लेकिन सिर्फ दिखाने मात्र की। आखिर क्या वजह है कि हजारो मामले बिना अधिकारीयों व कर्मचारियो के द्वारा रिष्वतखोरी की आड़ मे मनमर्जी तरीके से चलाए जा रहे है? क्यों किसान भाइयों को लगान जमा करने व दाखिल ख़ारिज कराने में रिश्वत देना पड़ता है? आखिर क्या कारण है कि ग्रामीण पक्षकारो से खुलेआम रिष्वत की मांग की जाती है? क्या कर्मचारियों को किसी बात का भय व डर नही है या फिर उन्हें किसी प्रकार से शासन प्रशासन का संरक्षण प्राप्त है ?