यूपी कुशीनगर से उपेंद्र जी कही अनकही बात कार्यक्रम के माध्यम से दोस्ती के सम्बन्ध में बताते हैं कि दोस्ती ,जाति धर्म लिंग सम्प्रदाय इन सब भेद भावों से परे है ,दोस्ती,अमीरी-गरीबी ,रंग-रूप इत्यादि नहीं देखती। ये सभी तत्यों से परे है। दोस्ती की परिभाषा अमीरी-गरीबी ,धर्म,सम्प्रदाय को लेकर नहीं की जाती है बल्कि दोस्ती की परिभाषा जो लोग एक दूसरे के दुःख-दर्द को समझे और सुचारु रूप से हर परिस्थितियों में उसके साथ खड़े हो ,वही सच्चे दोस्त हो सकते हैं।वर्तमान में दोस्ती एक दिखावा हो गई है और साथ ही स्वार्थपूर्ण भी। इसमें स्वार्थ की गन्दगी भरी पड़ी है। कई बार हम ये भी देखते है कि एक दोस्त दूसरे दोस्त का मज़ाक उड़ा देता है या दो-चार लोगों के सामने उसे बदनाम कर देता है। कई बार तो महज़ कुछ पैसों के कारण या किसी अन्य कारणों से एक दोस्त दूसरे दोस्त के खून का प्यासा हो जाता है। इस सम्बन्ध में मेरा विचार है कि कोई भी दोस्त हो बिना कारणों को जाने या बिना बातों को समझे अपने दोस्ती में दरार ना डालें