राजनीति में आज कल दल बदलने की परम्परा लगातार बढ़ती जाती है।अपना महत्वाकांक्षा साधने के लिए चुनाव आते ही नेता दल बदलने लगते है।राजनीतिक दल भी इन नेताओ का बाहें फैलाकर स्वागत करती है।आज के दौड़ में सिद्धांत की राजनीति खत्म सी हो गई है।इन नेताओ के आगे जनता बेबस है।ऐसे दल बदलू राजनीतिक दल को सबक देने की जरूरत है।