हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ प्रखंड से राजेश्वर महतो जी झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते हैं कि मजदूर एक संसाधन है, लेकिन राज्य में मजदूरों की हालत बहुत ही चिंता जनक बनी हुई है।मानव अपनी जीवनयापन करने के लिए रोजगार की तलाश कर अपने अच्छे जीवन व्यतीत की सोच रखते हैं।और फिर हमारा देश का विकास में भी मजदूरों का अहम योगदान है परन्तु झारखण्ड में मजदूरों के अधिकार एवं कर्तव्य के बारे में जानकारी नहीं रहने से कई जगह वे फंस जाते हैं। मजदूर कोई भी सेक्टर में कार्य करे चाहे वह सार्वजनिक हो या निजी सभी जगह वे दोहन एवं शोषण का शिकार होते हैं । कल-कारखानों,क्रसर मशीनों,खेती तथा ठेके में काम करने वाले मजदूरों को अपना आरईसीएस यानि रोजगार और सेवा शर्तो का अधिनियम 1996 के अनुसार निबंधन करवा कर कार्ड बनवाना चाहिए।ताकि मजदूरों को मिलने वाले योजनाओ का लाभ मजदूर आसानी उठा सके।सबसे पहले सरकार को श्रमिकों के लिए निकाली गई योजनाओं के बारे में पंचायत एवं प्रखंड स्तर पर जागरूकता फैलाना चाहिए।सरकारी प्रतिष्ठान एवं गैरसरकारी प्रतिष्ठानों में कार्यरत श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1947 के अनुसार मिलना चाहिए। सैकड़ो ऐसे मजदूर हैं, जिनका पैसा ठेकेदार के पास है और मजदूर अपनी मजदूरी माँगते हैं , तो उन्हें केवल आश्वासन ही मिल पता है।अपना मेहनत,खून-पसीना से कमाई किया गया मजदूरों को उनका पैसा जल्दी नहीं मिलता है।वहीँ दूसरी ओर मजदूरों से 8 घंटे की जगह 10 से 12 घंटे काम करवाया जाता है जिसकी जाँच करने वाला कोई नहीं है।अतः राज पालिवार जी को इस विषय को गंभीरता से लेना चाहिए तथा प्रत्येक प्रखंड में लेबर इंस्पेक्टर को प्रखंड मुख्यालय में बहाल करना चाहिए ताकि मजदूरों की समस्या एवं श्रम विभाग से मिलने वाला लाभ आसानी से मिल पाए।