झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिले से राजेश्वर महतो जी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि वर्तमान समय में बच्चे और युवा-वर्ग भविष्य बनाने के होड़ में अपने माता- पिता और बुजुर्गो के प्रति अपने कर्तव्यों को भूल बैठा है।बुजुर्गो के आशिर्बाद से बच्चे अपने सपनों को साकार करते हैं तथा डाक्डर ,इंजीनियर ,आईएएस अधिकारी जैसे उच्च पदों पर आसीन होते हैं।काम का बोझ इस हद तक है कि चाह कर भी नौजवान बुजुर्गो को समय नहीं दे पाते और माँ -पिता को"ओल्ड होम" में भेज देते हैं।उच्च वर्ग में ज्यादातर ऐसा देखने को मिलता है।शहरों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में बुजुर्गो के प्रति समय ,आदर,और सम्मान अभी भी देखने को मिल जाता है। स्कुल और कालेजों में श्रवण कुमार और रामचरित मानस को पढाई में शामिल करना चाहिए। साथ ही शिक्षण संस्थानों में नैतिक शिक्षा एवं बड़े -बुजुर्गो के सम्मान सम्बंधित कोर्स सिलेबस में शामिल करना चाहिए।विवेकानंद,सुभाष चंद्र बोस जैसे महापुरुषों की जीवनी के बारे में भी बच्चो को विस्तृत जानकारी देनी चाहिए।रोजगार के तलाश में युवक शहर चले जाते हैं और बूढ़े माँ -पिता पैतृक घर में अकेले रह जाते हैं और अपमान का जीवन बिताते हैं।