मेरा नाम राजा कुमार है , मैं पूर्वी चंपारण से बोल रहा हूँ , मैं एक कविता पढ़ने जा रहा हूँ फुले चेहरे कट्टे हो और अपनी छोडो तुम चाहे जाए जान मरो तुम साथ रहेगा किटा साथ हिम्मत कभी भी तुम नहीं , नामाओ औरुंझी कोठौम मत छोड़ो ।