नमस्कार आदाब साथियों ,मोबाइल वाणी ले कर आया है रोज़गार समाचार। यह नौकरी उनके लिए है जो बिहार में ग्राहक सेवा कार्यकारी के पद पर कार्य करने के लिए इच्छुक हैं। इन पदों के लिए वैसे उम्मीदवार आवेदन कर सकते है, जिन्होंने किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से 12 वीं पास किया हो। नौकरी करने का कार्यस्थल पाटलिपुत्र कॉलोनी, पटना, बिहार 800013 है । इन पदों पर वेतनमान 6,000 से 10,000 /- रुपये प्रतिमाह दिया जाएगा। यहां चार शिफ्टों में कार्य करना होगा इच्छुक व्यक्ति इस पद से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए कंपनी के इस नंबर पर संपर्क कर सकते है। नंबर है : 9264104666 . तो साथियों,अगर आपको यह जानकारी लाभदायक लगी, तो मोबाइल वाणी एप्प पर लाइक का बटन दबाये साथ ही फ़ोन पर सुनने वाले श्रोता 5 दबाकर इसे पसंद कर सकते है। नंबर 5 दबाकर यह जानकारी आप अपने दोस्तों के साथ भी बाँट सकते हैं।

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिलदेव शर्मा किसानों को कटहल की फसल में लगने वाला तना बेधक कीट नियंत्रण की जानकारी दे रहे हैं । अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें

बिहार में भारतीय जनता पार्टी की लंबे समय तक पहचान रहे दिग्गज नेता सुशील कुमार मोदी नहीं रहे। बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा के पूर्व सांसद श्री मोदी का सोमवार की रात दिल्ली में निधन हो गया। वे कैंसर से पीड़ित थे। दिल्ली स्थित एम्स में चिकित्सा के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली।बिहार की राजनीति के पुरोधा सुशील कुमार मोदी अपने कैंसर की सूचना देने के 40 दिनों बाद ही रुखसत हो गए। बिहार में भारतीय जनता पार्टी की लंबे समय तक पहचान रहे दिग्गज नेता सुशील कुमार मोदी को कैंसर ने लील लिया। बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा के पूर्व सांसद श्री मोदी का सोमवार की रात दिल्ली में निधन हो गया। पिछले महीने की तीन तारीख को उन्होंने कैंसर होने की जानकारी देते हुए सक्रिय राजनीति से संन्यास की घोषणा की थी। पूर्व उपमुख्यंत्री सुशील कुमार मोदी गले के कैंसर से पीड़ित थे। दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में उनका इलाज चल रहा था। सुशील कुमार मोदी ने 03 अप्रैल को सार्वजनिक जीवन के लिए अंतिम संदेश दिया था। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा- "पिछले छह माह से कैंसर से संघर्ष कर रहा हूं। अब लगा कि लोगों को बताने का समय आ गया है। लोकसभा चुनाव में कुछ कर नहीं पाऊंगा। प्रधानमंत्री को सब कुछ बता दिया है। देश , बिहार और पार्टी का सदा आभार और सदैव समर्पित।" यह लिखने के बाद जब सुशील कुमार मोदी बिहार आए तो एयरपोर्ट पर उनकी हालत देखते ही समर्थकों को झटका लगा था। उनका शरीर अचानक गिर गया था। इसके बाद उनके आवास पर भाजपा के कई दिग्गज मिलने के लिए पहुंचे तो परिजनों ने उनकी तस्वीर लेने से मना कर दिया था।अंकित करने वाली बात है कि सुशील मोदी , नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव जेपी आंदोलन के बाद उभरे त्रिमूर्ति के रूप में जाने जाते थे। श्री मोदी शुरुआत से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े रहे। 1971 में सुशील मोदी ने छात्र राजनीति से राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की थी। इसके बाद युवा नेता के रूप में इनकी पहचान विश्वविद्यालय से होते हुए राज्य की राजनीति तक पहुंची। साल 1990 में सुशील ने विधानसभा चुनाव लड़ा और जीतकर विधायक बने। इसके बाद बिहार की राजनीति में उनका कद बढ़ता ही गया। उन्होंने बिहार के उप मुख्यमंत्री पद को सुशोभित किया।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम वह भाजपा के कद्दावर नेता सुशील कुमार मोदी का निधन हो गया वे लंबे समय से कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे। उन्होंने दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली। सुशील कुमार मोदी का जन्म 1952 में पटना में हुआ था। उन्होंने 72 साल की उम्र में अंतिम सांस ली उनके निधन से राजनीतिक गलियारे में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

सिकन्दरा प्रखंड भूल्लो पंचायत के धनिमातरी गांव में परिवार विकास/चाइल्ड फण्ड इन्टरनेशनल के तत्वावधान में बाल विवाह और बाल मजदूरी रोकथाम एवं उसमें कमी लाने हेतु जागरूकता रैली का आयोजन किया गया। समन्वयक अभिषेक कुमार ने बताया कि बाल विवाह और बाल मजदूरी बच्चों के लिए अभिशाप है। यह कानूनी अपराध भी है। बच्चों के सुरक्षा हेतु सरकार की ओर से बहुत से कानून बनाए गए हैं।आज के बच्चे कल के भविष्य हैं। बच्चों के भविष्य को सजाना संवारना माता पिता के अलावे समुदाय के जागरूक लोग एवं शिक्षक की भूमिका अहम है।बाल विवाह से जच्चा-बच्चा दोनों को जान का खतरा बना रहता है। क्योंकि कम उम्र में शरीर पूर्णरूपेण तैयार नहीं रहता है मां बनने के लायक। बाल मजदूरी से भी बच्चों का विकास रुक जाता है ‌।शरीर कमजोर हो जाता है असमय पारिवारिक बोझ लद जाता है। जिसे वह सहन नहीं कर पाता है।बाल विवाह और बाल मजदूरी से बच्चों पर पड़ने वाला प्रभाव की विस्तृत जानकारी के साथ रैली पूरे गांव का भ्रमण कर स्लोगन के माध्यम से ग्रामीणों को जागरूक किया गया। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

किसी भी समाज को बदलने का सबसे आसान तरीका है कि राजनीति को बदला जाए, मानव भारत जैसे देश में जहां आज भी महिलाओं को घर और परिवार संभालने की प्रमुख इकाई के तौर पर देखा जाता है, वहां यह सवाल कम से कम एक सदी आगे का है। हक और अधिकारों की लड़ाई समय, देश, काल और परिस्थितियों से इतर होती है? ऐसे में इस एक सवाल के सहारे इस पर वोट मांगना बड़ा और साहसिक लेकिन जरूरी सवाल है, क्योंकि देश की आबादी में आधा हिस्सा महिलाओं का है। इस मसले पर बहनबॉक्स की तान्याराणा ने कई महिलाओँ से बात की जिसमें से एक महिला ने तान्या को बताया कि कामकाजी माँओं के रूप में, उन्हें खाली जगह की भी ज़रूरत महसूस होती है पर अब उन्हें वह समय नहीं मिलता है. महिलाओं को उनके काम का हिस्सा देने और उन्हें उनकी पहचान देने के मसले पर आप क्या सोचते हैं? इस विषय पर राय रिकॉर्ड करें

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विशेषज्ञ जीवदास साहू गर्मी के दिनों में लत्तर वाली फसलों में लगने वाली रोग और नियंत्रण के बारे में जानकारी दे रहे हैं। इसकी पूरी जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

उदास होने पर हंसा देती है माँ नींद नहीं आने पर सुला देती है माँ मकान को घर बना देती है माँ खुद भूखी रह कर भी बच्चों का पेट भर्ती है माँ जी हां दोस्तों, माँ होती ही ऐसी हैं और माँ का इसी त्याग, समर्पण और प्यार पर समर्पित है मदर्स डे यानि मातृत्व दिवस। आज के दौर में यह दिन हर माँ के सम्मान में मनाया जाता है। आइये जानते हैं मदर्स डे मनाने की परंपरा की शुरुआत कब और कैसे हुई। दरअसल मदर्स दे 20वीं सदी की शुरुआत में अन्ना जार्विस द्वारा स्थापित किया गया था, जो उनकी अपनी मां के मानवीय कार्यों के प्रति समर्पण से प्रेरित था।1914 में , राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने आधिकारिक तौर पर अमेरिका में मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे के रूप में नामित किया, जिसे बाद में अन्य देशों ने अपनाया। साथियों,एक और खास बात यह है कि हर साल मातृ दिवस का एक अलग थीम होता है और इस बार का थीम है "सेलिब्रेटिंग मदरहुड: ए टाइमलेस बॉन्ड". मदर्स डे ना सिर्फ मां को समर्पित है बल्कि उनके त्याग, बच्चों के लिए समर्पण और खुद से ज्यादा बच्चों के लिए प्रेम की सराहना भी करता है.मां और बच्चे का रिश्ता हर रिश्तों से बड़ा होता है. साथियों, मोबाइल वाणी के पुरे परिवार की ओर से आप सभी को मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं । धन्यवाद !!