जीवन_की_सच्चाई.भ्रम_ही_भय_है। @#एक_आदमी चला जा रहा था। #रास्ते में एक कुत्ता मिल गया। #कुत्ते की कद-काठी और हाथ-भाव से वह डर गया और भागने लगा। #कुत्ते ने भी उसका पीछा किया। #आदमी बेतहाशा भागा जा रहा था और #कुत्ता भी रुकने का नाम नहीं लेता। @#दूर से यह दृश्य एक #विज्ञ पुरुष देख रहा था। व्यक्ति जब उसके पास से गुजरा, तो उसने चिल्लाकर - “मूर्ख! रुक जा, भाग मत। कुत्ता तुम्हारा पीछा नहीं कर रहा है।” @#इस वाक्य से कुछ ढाढ़स हुआ। वह हाँफते हुए रुक गया। उसके रुकते ही कुत्ता भी उसके पीछे खड़ा हो गया, कुछ इधर-उधर सूँघ कर फिर चलता बना। @#अब सुधी उस सज्जन से उसे समझाया- “कुत्ता वस्तुतः तुम्हारा पीछा नहीं कर रहा था। वह तो तुम्हारे भय के कारण पैदा हुए #एड्रीनेलिन_रस की गंध से खिंचा चला आ रहा था। तुम्हारे रुकते ही,#भय समाप्त होते ही वह रसस्राव बंद हो गया, जिससे गंध का निकलना रुक गया और कुत्ता भी लौट गया। #अध्यात्म_सागर @#अब वह #व्यक्ति सोचने लगा :- #हमारी तरह न जाने कितने ही लोग रस्सी को साँप #समझ बैठते और डरते-मरते रहते हैं। #इसके बाद ही उसे इस उक्ति की #सच्चाई समझ में आयी, #जिसमें कहा गया है-#डरपोक जीवन में #कितनी ही बार #मरते हैं, जबकि #साहसी का #मरण सिर्फ एक बार होता है। @#कहानी_अच्छी_लगे_तो_शेयर_कीजिये। ।। ~@#जय_जय_श्रीराम@~ ।।