दोस्तों बच्चों के लिए काम करने वाली अंतराष्ट्रीय संस्था यूनिसेफ ने हर साल 11 जून को बच्चों के खेल का ख़ास दिन घोषित किया है। यानि ऐसा दिन जो सभी को याद दिलाये कि बच्चों के साथ बच्चे बन जाना कितना प्यारा है। बच्चों को जन्म से ही खेल खेल में सिखाना कितना प्यारा है। सिखाना भी बड़ों के तरीके से नहीं ,ऐसा खेल जिसमें बड़ों की नहीं हमारे नन्हें मुन्हें ,प्यारे -प्यारे बच्चों की मर्ज़ी चले। क्योकि इससे बच्चे तेज़ी से खुद सीखते हैं। आने वाले 11 जून यानि की इस मंगलवार को भी एक घंटे का समय निकालिये और अपने और अपने आस पास के बच्चों के साथ बच्चा बन जाइये।और हाँ आपने और बच्चों ने क्या खेला और उसमे बच्चों को कितना मज़ा आया ये मोबाइल वाणी पर रिकॉर्ड कर के जरूर बताइये।

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विशेषज्ञ अशोक झा धान की फसल के लिए धान के नर्सरी तैयारी करने के बारे में जानकारी दे रहे हैं। इसकी पूरी जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा किसान भाइयों को लीची की फसल में फल बेधक कीट का नियंत्रण करने की जानकारी दे रहे हैं । अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें

हीट वेव जागरूकता के इस प्रोमो में हम जानेंगे इस बढ़ती गर्मी का कारण क्या है। साथ ही इस गर्मी से बचाव के लिए क्या उपाय किये जा सकते हैं।

महिलाओं को अक्सर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार और राजनीतिक भागीदारी जैसे क्षेत्रों में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। यह भेदभाव उन्हें अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने से रोकता है। महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, दहेज हत्या और बाल विवाह जैसी हिंसा लैंगिक असमानता का एक भयानक रूप है। यह हिंसा महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाती है और उन्हें डर और असुरक्षा में जीने के लिए मजबूर करती है। लैंगिक असमानता गरीबी और असमानता को बढ़ावा देती है, क्योंकि महिलाएं अक्सर कम वेतन वाली नौकरियों में काम करती हैं और उन्हें भूमि और संपत्ति जैसे संसाधनों तक कम पहुंच होती है। दोस्तों, आप हमें बताइए कि *-----लैंगिक असमानता के मुख्य कारण क्या हैं? *-----आपके अनुसार से लैंगिक समानता को मिटाने के लिए भविष्य में क्या-क्या तरीके अपनाएँ जा सकते हैं? *-----साथ ही, लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए हम व्यक्तिगत रूप से क्या प्रयास कर सकते हैं?

दोस्तों मानव शरीर के निर्माण में भोजन एक महत्वपूर्ण तत्व है। प्रकृति ने कई प्रकार के खाद्य पदार्थ बनाए हैं जो महत्वपूर्ण और आवश्यक पोषक तत्वों से युक्त कोशिकाओं और शरीर के ऊतकों के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण हैं, तभी तो शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के लिए पर्याप्त मात्रा में भोजन करने की आवश्यकता होती है। साथियों, दुनिया भर में दूषित भोजन खाने से लाखो लोग मौत मुंह में समां जाते हैं।यह दिवस लोगों को याद दिलाता है कि शुद्ध और सुरक्षित भोजन स्वास्थ्य के लिए जरूरी है और यह सभी लोगों का अधिकार भी है। हर साल UN फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (FAO) एक थीम निर्धारित करता है जिसके तहत विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाया जाता है।इस वर्ष World Food Safety Day 2024 की थीम है, ‘सुरक्षित भोजन बेहतर स्वास्थ्य’. तो साथियों आइए हम सब मिलकर विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाये और हर दिन शुद्ध और सुरक्षित भोजन का सेवन करें। धन्यवाद !!

आपका पैसा आपकी ताकत की आज की कड़ी में हम सुनेंगे पैसों के सही निवेश के बारे में अपने श्रोताओं की राय

उत्तरप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर से फकरुद्दीन मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलाओं को हर क्षेत्र में आरक्षण मिल रहा है लेकिन वह आरक्षण महिलाओं का नाम या महिलाओं की पहचान पूरी तरह से रसोई में भी छिपी रहती है, जैसे कि मुख्यमंत्री का चुनाव, उसमें आरक्षण होता है, यहां तक कि महिलाओं के लिए भी। जिस गाँव में महिला आरक्षण है, वहाँ सीटों का आरक्षण है, वहाँ महिलाएं खड़ी हैं, लेकिन जब वह जीतती है, तो काम पूरी तरह से उसके पति का भाई या घर वाला कोई व्यक्ति होता है। ताकि महिला की पहचान छूट जाए, महिला कहाँ गई है, कहाँ नहीं गई है, इससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। इसी तरह भारत में हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है, लेकिन उनकी पहल की जा रही है। महिलाएं शिक्षित होती हैं, विशेष रूप से गाँवों और शहरों में, और शिक्षित होकर, वे अपने अधिकारों को जानती हैं। वे जानते हैं कि क्या करना है या नहीं करना है, लेकिन गाँव की महिलाएं अभी भी पिछड़ी हुई हैं। इस तरह उन्हें मान्यता मिलती है, यानी उनकी असली पहचान को दबाया जाता है, इसलिए इस पहचान को ऊपर उठाना पड़ता है, तभी देश आगे बढ़ सकता है।

उत्तरप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर से फकरुद्दीन मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि प्रदूषण तब होता है जब प्रदूषण प्राकृतिक पर्यावरण को दूषित करता है जो रहने की स्थिति को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है। और विकास के साथ-साथ प्रदूषण अपने चरम पर पहुंच गया, इस प्रदूषण के कारण ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा मिला। ग्लोबल वार्मिंग के कारण, मनुष्य इन सब का पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, यहां तक कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण भी, जो इसकी गर्मी बढ़ा रहा है, यह प्रदूषण सबसे महत्वपूर्ण था। इसमें वायु प्रदूषण और मृदा प्रदूषण शामिल हैं। साथियों, अगर हम सभी प्रकार के प्रदूषण को नियंत्रित कर सकते हैं, चाहे वह ध्वनि प्रदूषण हो, वायु प्रदूषण हो, या किसी भी प्रकार का ध्वनि प्रदूषण हो, अगर हम इसे नियंत्रित कर सकते हैं, तो हम इसे नियंत्रित कर सकते हैं।