ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है जिसके कारण पृथ्वी का तापमान तेजी से बढ़ रहा है। इस बढ़ते तापमान के कारण पृथ्वी पर कई चीजें बदल रही हैं। गर्मियों में लोगों के लिए बाहर जाना बहुत मुश्किल हो गया है। इस ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए हमारे पर्यावरण की पूरी तरह से रक्षा करनी होगी। अधिक से अधिक पेड़ लगाने होंगे, अधिक से अधिक पीने योग्य पानी बचाना होगा, चाहे जो भी प्रदूषण हो, चाहे वह जल प्रदूषण हो, वायु प्रदूषण हो, मृदा प्रदूषण हो, ध्वनि प्रदूषण हो। इन सभी को पूरी तरह से नियंत्रित करना होगा तभी इस ग्लोबल वार्मिंग को रोका जा सकता है और मानव निर्मित चीजें जो हमारे पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचा रही हैं, उन्हें रोका जा सकता है। इन्हें कम करने के लिए हमें पर्यावरण-मित्रता के अनुसार काम करना होगा, यानी हमें ऐसे काम करने होंगे ताकि हमारे पर्यावरण को कोई नुकसान न हो और देश का विकास हो सके। तभी इस ग्लोबल वार्मिंग को पूरी तरह से नियंत्रित किया जा सकेगा और हमारे भावी बच्चों का भविष्य सुरक्षित किया जा सकेगा अन्यथा हमारे बच्चों का भविष्य बहुत ही धूमिल होगा क्योंकि भविष्य धूमिल होगा। पानी धीरे-धीरे इतनी तेजी से कम हो रहा है कि हमारे बच्चों को पीने योग्य पानी नहीं मिलेगा, उन्हें साफ हवा नहीं मिलेगी, उन्हें पता नहीं चलेगा कि पेड़ क्या हैं।
यह कार्यक्रम बताता है कि गर्मी में घर को कैसे ठंडा रखा जा सकता है। इसमें एक परिवार पुराने तरीकों जैसे मिट्टी, बांस और छत पर पौधे लगाने के बारे में सीखता है। साथ ही, नए तरीके जैसे खास पेंट भी बताए गए हैं। कार्यक्रम यह संदेश देता है कि ऐसे घर बनाना चाहिए जो गर्मी कम करें और पर्यावरण के लिए अच्छे हों। इस गर्मी में आपका घर कितना गर्म रहता है ? अपने घर को ठंडा रखने के लिए आपने क्या उपाय किये ?
साथियों, आपके यहां पानी के प्रदूषण की जांच कैसे होती है? यानि क्या सरकार ने इसके लिए पंचायत या प्रखंड स्तर पर कोई व्यवस्था की है? अगर आपके क्षेत्र में पानी प्रदूषित है तो प्रशासन ने स्थानीय जनता के लिए क्या किया? जैसे पाइप लाइन बिछाना, पानी साफ करने के लिए दवाओं का वितरण या फिर पानी के टैंकर की सुविधा दी गई? अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो आप कैसे पीने के पानी की सफाई करते हैं? क्या पानी उबालकर पी रहे हैं या फिर उसे साफ करने का कोई और तरीका है? पानी प्रदूषित होने से आपको और परिवार को किस किस तरह की दिक्कतें आ रही हैं?
सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा केला की फसल में बोरान की कमी के लक्षण तथा उपचार के बारे में जानकारी दे रहे हैं । अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें
उत्तरप्रदेश राज्य के जिला सुल्तानपुर से फकरुद्दीन , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि अगर महिलाओं का पैतृक संपत्ति पर अधिकार है और उसके पिता या भाई उसे कुछ देते हैं, तो यह महिला उसके लिए बहुत अच्छा होगा ताकि वह अपना और अपने बच्चों का अच्छी तरह से पालन-पोषण कर सके। इसी तरह सोच को भी बदलना होगा। कानून बहुत अच्छी तरह से बनाया गया है कि महिलाओं को भी पैतृक संपत्ति पर अधिकार मिलना चाहिए। क्योंकि ऐसा बहुत बार होता है कि जिनके बच्चे नहीं हैं, यानी लड़के नहीं हैं, तो महिलाएं अपनी पैतृक संपत्ति पर पूरा अधिकार ले लेती हैं, इसलिए यह कानून बहुत अच्छा है।
उत्तरप्रदेश राज्य के जिला सुल्तानपुर से फकरुद्दीन , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि हाल ही में हाथरस में हुआ था। जिसमें बाबा द्वारा एक धार्मिक सभा आयोजित की जा रही थी, उम्मीद से अधिक भीड़ जमा हो गई, जिसके कारण कुछ अंधविश्वास के कारण भगदड़ मच गई या लापरवाही के कारण आप इसे कुछ भी कह सकते हैं। उस भगदड़ में सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी। अब इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा, प्रशासन या बाबा जिन्होंने इस आयोजन का आयोजन किया, तो ऐसे आयोजन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जाए या फिर जो कोई भी उस कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है, तो उस कार्यक्रम की जिम्मेदारी पूरी तरह से तय होनी चाहिए कि अगर कोई दुर्घटना या घटना होती है, तो वह आयोजक या बाबा जो उस कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं।
दोस्तों इस तरह के बाबाओं द्वारा चलाई जा रही धर्म की दुकानों पर आपका क्या मानना है, क्या आपको भी लगता है कि इन पर रोक लगाई जानी चाहिए या फिर इनको ऐसे ही चलते ही रहने देना चाहिए? या फिर हर धर्म और संप्रदाय के प्रमुखों द्वारा धर्म के वास्तविक उद्देश्यों का प्रचार प्रसार कर अंधविश्वास में पड़े लोगों को धर्म का वास्तविक मर्म समझाना चाहिए। जो भी आप इस मसले पर क्या सोचते हैं अपनी राय रिकॉर्ड करें ग्रामवाणी पर
उत्तर प्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से सेहनाज़ मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है की लैंगिक असमानता का अर्थ है लिंगों के बीच अंतर करना, इस आधार पर महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता है, पारंपरिक रूप से महिलाओं को समाज में एक कमजोर वर्ग के रूप में रखा जाता है। घर और समाज दोनों में उसके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है और वह भेदभाव से पीड़ित होती है। महिलाओं के खिलाफ भेदभाव दुनिया के कई हिस्सों में प्रचलित है। भारतीय समाज में महिलाओं को घर के काम के लिए उपयुक्त माना जाता है।
उत्तर प्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से सेहनाज़ मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है की कुपोषण एक ऐसी स्थिति है जो देश के किसी भी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आज के समय में भारत में कुपोषण। गरीबी की समस्या बनी हुई है, और भारत सरकार ने कई योजनाएं और जागरूकता अभियान शुरू किए हैं, और ऐसे कई कार्यक्रम होते हैं। जिसमें कुपोषण की समस्या को दूर किया जा सकता