"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा नींबू के फसल के बारे में जानकारी दे रहे हैं। विस्तारपूर्वक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें
मोटाभाई ने महज एक शादी में जितना खर्च किया है, वह उनकी दौलत 118 बिलियन डॉलर का 0.27 है। जबकि उनकी दौलत कृषि संकट से जूझ रहे देश का केंद्रीय बजट का 7.5 प्रतिशत से भी कम है। जिस मीडिया की जिम्मेदारी थी कि वह लोगों को सच बताएगा बिना किसी का पक्ष लिए, क्या यह वही सच है? अगर हां तो फिर इसके आगे कोई सवाल ही नहीं बनता और अगर यह सच नहीं तो फिर मीडिया द्वारा महज एक शादी को देश का अचीवमेंट बताना शुद्ध रूप से मुनाफे से जुड़ा मसला है जो विज्ञापन के रुप में आम लोगों के सामने आता है। क्योंकि मीडिया का लगभग पचास प्रतिशत हिस्सा तो मोटाभाई का खुद का है और जो नहीं है वह विज्ञापन के लिए हो जाता है "कर लो दुनिया मुट्ठी में” की तर्ज पर। दोस्तों, इस मुद्दे पर आप क्या सोचते है ?अपनी राय रिकॉर्ड करें मोबाईलवाणी पर, अपने फोन से तीन नंबर का बटन दबाकर या फिर मोबाईल का एप डाउनलोड करके।
उत्तरप्रदेश राज्य के जिला सुल्तानपुर से फकरुद्दीन , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि पर्यावरण में पानी का बहुत महत्व है। पानी के बिना जीवन संभव नहीं है। इसलिए, अगर हम रास्ते में नल खुला या टपकता हुआ पानी पाते हैं, तो हमें हमेशा पानी बचाने की कोशिश करनी चाहिए हमें कार्यालय में हैं, घर पर हैं या किसी भी सार्वजनिक स्थान पर हैं, पार्क में हैं, कहीं भी यदि आप नल को खुला देखते हैं, तो आप उस पानी के नल को बंद करना सुनिश्चित करें ताकि पानी बर्बाद न हो। यदि आप ऐसा कर रहे हैं तो बहुत अधिक पानी बर्बाद न करें, यदि आप अपना बगीचा चाहते हैं तो जितना चाहिए उतना पानी का उपयोग करें। यदि आपको किसी पेड़ या पौधे को पानी देना है, तो आप पीने योग्य पानी के बजाय अन्य पानी का उपयोग कर सकते हैं, जिससे केवल तभी पानी की बचत होगी जब आप तुल्लू के माध्यम से अपने टैंक को भरते समय, सुनिश्चित करें कि यह ओवरफ्लो और ओवरफ्लो न हो, क्योंकि इससे बहुत सारा पानी बर्बाद होता है। और यह पीने योग्य भी नहीं है और न ही इसका किसी भी तरह से उपयोग किया जाता है, इसलिए दोस्तों, आप पानी बचाएँगे, तभी हमारे भावी बच्चे उस पानी का उपयोग कर सकेंगे।
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"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विशेषज्ञ जीव दास साहू ,ज्वार के फसल के लिए मिट्टी एवं बीज का चयन और बीज शोधन की जानकरी दे रहे हैं। ज्वार के फसल से जुड़ी कुछ बातें किसानों को ध्यान में रखना ज़रूरी है। इसकी पूरी जानकारी सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.
सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
उत्तरप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से फकरूद्दीन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि कोई भी कार्यक्रम या किसी भी तरह का कार्यक्रम भीड़-भाड़ वाली जगहों पर आयोजित किया जाता है, अगर कोई भी भीड़ इकट्ठा होने की संभावना होता है तो जो भी उसका आयोजन है उसको पूरी जिम्मेदारी लेते हुए सरकार को पूरी जानकारी दी जानी चाहिए कि यहां पर कितनी भीड़ जमा हो सकती है, यह जानकारी प्रशासन को उपलब्ध कराई जानी चाहिए। आयोजक जो उन्हें सूचित कर रहा है कि इतनी भीड़ आएगी, उसे पूरी तरह से सत्यापित करने की आवश्यकता है कि क्या कार्यक्रम किसी धार्मिक कार्यक्रम के लिए आयोजित किया जा रहा है चूंकि संख्या जो बताया जा रहा है उससे अधिक होने की संभावना हो सकती है, इसलिए सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अपेक्षित भीड़ के अनुसार सुरक्षा व्यवस्था की जाए। अगर आयोजकों को लगता है कि भीड़ और बढ़ सकती है तो उन्हें तुरंत प्रशासन को जानकारी देनी चाहिए ताकि सुरक्षा व्यवस्था की जा सके ताकि इस तरह दुर्घटनाएं ना हो सके । ऐसा करने से घटनाओं में जहां भगदड़ के कारण सैकड़ों लोगों की जान चली गई है, उन्हें रोका जा सकता है, यानी आयोजकों और प्रशासन दोनों को सतर्क रहना होगा।
उत्तरप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि लैंगिक असमानता, यानी महिलाओं को पुरुषों के बराबर नहीं मानते हैं या महिलाओं को समान अधिकार नहीं देते हैं। महिलाओं के उन सभी आयामों का बहुत अलग तरीके से उपयोग करने में सक्षम होने के लिए, यहां तक कि खेल स्तर पर भी, महिलाओं को लैंगिक असमानता का सामना करना पड़ता है, यानी जब खेल की बात आती है तो भेदभाव, चाहे वह वॉलीबॉल हो या कोई भी खेल बैडमिंटन। अगर खेल महिलाओं और पुरुषों दोनों के खेल हैं, तो खेल को अधिक महत्व दिया जाता है, जब क्रिकेट जैसा खेल होता है, जब यह महंगा होता है, तो आयोजक ज्यादा नहीं होता है, यानी, इसमें अधिक पैसा लगता है, लेकिन फिर भी महिलाओं के खेल से अधिक, आयोजक कम होता है। और जब दोनों खेल एक ही खेल खेलते हैं तो इसमें कम पैसा लगता है, लेकिन वहाँ भी, खेल को किस क्षेत्र में लैंगिक असमानता का सामना करना पड़ता है। एक ही खेल पर महिलाओं को कम भुगतान किया जाता है। सौ लोगों से करोड़ों रुपये लूट लिए जाते हैं।
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"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा मक्का फसल की बुवाई के बारे में जानकारी दे रहे हैं । विस्तारपूर्वक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें