राजनैतिक सिंद्धांत औऱ प्रक्रियाओं में न्याय सबसे पुरानी अवधारणाओं में से एक है, न्याय के सिद्धांत को लेकर तमाम प्रकार की बातें कहीं गई हैं, जिसे लगभग हर दार्शनिक और विद्वान ने अपने समय के अनुसार समझाया है और सभी ने इसके पक्ष में अपनी आवाज को बुलंद किया है। न्याय को लेकर वर्तमान में भी पूरी दुनिया में आज भी वही विचार हैं, कि किसी भी परिस्थिति में सबको न्याय मिलना चाहिए। इसके उलट भारत में इस समय न्याय के मूल सिद्धामत को खत्म किया जा रहा है। कारण कि यहां न्याय सभी कानूनी प्रक्रियाओं को धता को बताकर एनकाउंटक की बुल्डोजर पर सवार है, जिसमें अपरधियों की जाति और धर्म देखकर न्याय किया जाता है। क्या आपको भी लगता है कि पुलिस को इस तरह की कार्रवाइयां सही हैं और अगर सही हैं तो कितनी सही हैं। आप इस मसले पर क्या सोचते हैं हमें बताइये अपनी राय रिकॉर्ड करके, भले ही इस मुद्दे के पक्ष में हों या विपक्ष में
नए नए आजाद हुए देश के प्रधानमंत्री नेहरू एक बार दिल्ली की सड़कों पर थे और जनता का हाल जान रहे थे, इसी बीच एक महिला ने आकर उनकी कॉलर पकड़ कर पूछा कि आजादी के बाद तुमको तो प्रधानमंत्री की कुर्सी मिल गई, जनता को क्या मिला, पहले की ही तरह भूखी और नंगी है। इस पर नेहरु ने जवाब दिया कि अम्मा आप देश के प्रधानमंत्री की कॉलर पकड़ पा रही हैं यह क्या है? नेहरू के इस किस्से को किस रूप में देखना है यह आप पर निर्भर करता है, बस सवाल इतना है कि क्या आज हम ऐसा सोच भी सकते हैं?
भारत में महिला श्रम शक्ति भागीदारी में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, हालांकि वैश्विक औसत की तुलना में यह कम आधार पर है। ।स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया रिपोर्ट 2023 के अनुसार, भारत में महिला कार्यबल की संरचना विकसित हो रही है, जिसमें उच्च शिक्षा प्राप्त युवा महिलाओं की संख्या बढ़ रही है जो श्रम बाजार में शामिल हो रही हैं। भारत में दुनिया की सबसे बड़ी कामकाजी आयु वाली आबादी होने का अनुमान है, जो 2030 तक लगभग 70% तक पहुंच जाएगी, लेकिन कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी का वर्तमान निम्न स्तर लगातार असहनीय होता जा रहा है।तो दोस्तों, हर समस्या का समाधान होता है आप हमें बताइए कि *----- महिलाएं किन प्रकार के कार्यों में अधिकतर अपना ज्यादा समय लगाती है ? *----- महिलाओं को उच्च पदों पर पहुंचने में क्या क्या चुनौतियां आती हैं? *----- आपके अनुसार महिलाओं को कार्यस्थल पर किन प्रकार के भेदभाव का सामना करना पड़ता है? और महिलाओं को उद्यमिता और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए हमें किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत हैं? *----- क्या आपको भी लगता है कि समाज को इस दिशा में सोच बदलने की ज़रूरत है .?
भारतीय संविधान किसी के आर्टिकल 14 से लेकर आर्टिकल 21 तक समानता की बात कही है, इस समानता धार्मिक आर्थिक राजनीतिक और अवसर की समानता का जिक्र किया गया है। इस समानता किसी प्रकार की जगह नहीं है और किसी को भी धर्म, जाति और समंप्रदाय के आधार पर कोई भेद नहीं किये जाने का भी वादा किया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार के हालिया फैसले में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि वह धर्म की पहचान के आधार भेदभाव पैदा करने की कोशिश है।दोस्तों आप इस मसले पर क्या सोचते हैं? क्या आप सरकार के फैसले के साथ हैं या फिर इसके खिलाफ, जो भी हो इस मसले पर आपकी क्या राय है? आप इस मसले पर जो भी सोचते हैं अपनी राय रिकॉर्ड करें
मोटाभाई ने महज एक शादी में जितना खर्च किया है, वह उनकी दौलत 118 बिलियन डॉलर का 0.27 है। जबकि उनकी दौलत कृषि संकट से जूझ रहे देश का केंद्रीय बजट का 7.5 प्रतिशत से भी कम है। जिस मीडिया की जिम्मेदारी थी कि वह लोगों को सच बताएगा बिना किसी का पक्ष लिए, क्या यह वही सच है? अगर हां तो फिर इसके आगे कोई सवाल ही नहीं बनता और अगर यह सच नहीं तो फिर मीडिया द्वारा महज एक शादी को देश का अचीवमेंट बताना शुद्ध रूप से मुनाफे से जुड़ा मसला है जो विज्ञापन के रुप में आम लोगों के सामने आता है। क्योंकि मीडिया का लगभग पचास प्रतिशत हिस्सा तो मोटाभाई का खुद का है और जो नहीं है वह विज्ञापन के लिए हो जाता है "कर लो दुनिया मुट्ठी में” की तर्ज पर। दोस्तों, इस मुद्दे पर आप क्या सोचते है ?अपनी राय रिकॉर्ड करें मोबाईलवाणी पर, अपने फोन से तीन नंबर का बटन दबाकर या फिर मोबाईल का एप डाउनलोड करके।
उत्तरप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से फकरूद्दीन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि कोई भी कार्यक्रम या किसी भी तरह का कार्यक्रम भीड़-भाड़ वाली जगहों पर आयोजित किया जाता है, अगर कोई भी भीड़ इकट्ठा होने की संभावना होता है तो जो भी उसका आयोजन है उसको पूरी जिम्मेदारी लेते हुए सरकार को पूरी जानकारी दी जानी चाहिए कि यहां पर कितनी भीड़ जमा हो सकती है, यह जानकारी प्रशासन को उपलब्ध कराई जानी चाहिए। आयोजक जो उन्हें सूचित कर रहा है कि इतनी भीड़ आएगी, उसे पूरी तरह से सत्यापित करने की आवश्यकता है कि क्या कार्यक्रम किसी धार्मिक कार्यक्रम के लिए आयोजित किया जा रहा है चूंकि संख्या जो बताया जा रहा है उससे अधिक होने की संभावना हो सकती है, इसलिए सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अपेक्षित भीड़ के अनुसार सुरक्षा व्यवस्था की जाए। अगर आयोजकों को लगता है कि भीड़ और बढ़ सकती है तो उन्हें तुरंत प्रशासन को जानकारी देनी चाहिए ताकि सुरक्षा व्यवस्था की जा सके ताकि इस तरह दुर्घटनाएं ना हो सके । ऐसा करने से घटनाओं में जहां भगदड़ के कारण सैकड़ों लोगों की जान चली गई है, उन्हें रोका जा सकता है, यानी आयोजकों और प्रशासन दोनों को सतर्क रहना होगा।
साथियों, आपके यहां पानी के प्रदूषण की जांच कैसे होती है? यानि क्या सरकार ने इसके लिए पंचायत या प्रखंड स्तर पर कोई व्यवस्था की है? अगर आपके क्षेत्र में पानी प्रदूषित है तो प्रशासन ने स्थानीय जनता के लिए क्या किया? जैसे पाइप लाइन बिछाना, पानी साफ करने के लिए दवाओं का वितरण या फिर पानी के टैंकर की सुविधा दी गई? अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो आप कैसे पीने के पानी की सफाई करते हैं? क्या पानी उबालकर पी रहे हैं या फिर उसे साफ करने का कोई और तरीका है? पानी प्रदूषित होने से आपको और परिवार को किस किस तरह की दिक्कतें आ रही हैं?
उत्तरप्रदेश राज्य के जिला सुल्तानपुर से फकरुद्दीन , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि हाल ही में हाथरस में हुआ था। जिसमें बाबा द्वारा एक धार्मिक सभा आयोजित की जा रही थी, उम्मीद से अधिक भीड़ जमा हो गई, जिसके कारण कुछ अंधविश्वास के कारण भगदड़ मच गई या लापरवाही के कारण आप इसे कुछ भी कह सकते हैं। उस भगदड़ में सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी। अब इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा, प्रशासन या बाबा जिन्होंने इस आयोजन का आयोजन किया, तो ऐसे आयोजन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जाए या फिर जो कोई भी उस कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है, तो उस कार्यक्रम की जिम्मेदारी पूरी तरह से तय होनी चाहिए कि अगर कोई दुर्घटना या घटना होती है, तो वह आयोजक या बाबा जो उस कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं।
दोस्तों इस तरह के बाबाओं द्वारा चलाई जा रही धर्म की दुकानों पर आपका क्या मानना है, क्या आपको भी लगता है कि इन पर रोक लगाई जानी चाहिए या फिर इनको ऐसे ही चलते ही रहने देना चाहिए? या फिर हर धर्म और संप्रदाय के प्रमुखों द्वारा धर्म के वास्तविक उद्देश्यों का प्रचार प्रसार कर अंधविश्वास में पड़े लोगों को धर्म का वास्तविक मर्म समझाना चाहिए। जो भी आप इस मसले पर क्या सोचते हैं अपनी राय रिकॉर्ड करें ग्रामवाणी पर
उत्तरप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से फकरूद्दीन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पक्ष विपक्ष यह एक ऐसी श्रृंखला है जिसमें सभी लोगों को दोनों पक्षों को रखने का समान अवसर मिलता है। इसका अपना एक घोषणापत्र जारी किया गया था जिसे राजनीतिक दलों को प्रस्तुत किया गया था कि अगर आप हमसे वोट लेना चाहते हैं तो आपको हमारी इन मांगों को पूरा करना होगा। यह एक देश में एक नई क्रांति है। एक नई सोच की शुरुआत हुई है। जिससे की हम नागरिक भी अपने अधिकारों, अपनी जरूरतों को नेताओं के सामने, दलों के सामने रखेंगे, जो भी पक्ष हमारी मांगों को पूरा करने में अधिक सक्षम हो या हमारी मांगों को पूरा करने के लिए सहमत हो। हम इसके लिए मतदान करेंगे, यह एक बहुत अच्छी पहल है जो पूरे देश में क्रांति ला सकती है, इसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि लोग अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होंगे, लोग अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होंगे, लोग सोचेंगे कि हम देश में क्रांति ला सकते हैं। हमारे इस क्षेत्र का विकास इसलिए किया जा सकता है क्योंकि हर जगह होने वाली समस्याएं अलग-अलग हो सकती हैं। कहीं सड़कों का निर्माण बहुत महत्वपूर्ण है, कहीं पानी है, कहीं बिजली है, इसलिए हर जगह की जरूरतें अलग-अलग हैं, इसलिए हर जगह की जरूरतें भी अलग-अलग हैं। अगर लोगों को छोटे समूहों में बांटा जाए, तो वे अपनी मांगें मांगेंगे और लोगों के नेताओं को अपनी मांगें सौंपेंगे, फिर छोटी-छोटी मांगें पूरी होने पर उन्हें इस तरह से छोटे-छोटे लिंक मिलेंगे।