कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की स्वीकारोकती के बाद सवाल उठता है, कि भारत की जांच एजेंसियां क्या कर रही थीं? इतनी जल्दबाजी मंजूरी देने के क्या कारण था, क्या उन्होंने किसी दवाब का सामना करना पड़ रहा था, या फिर केवल भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। जिसके लिए फार्मा कंपनियां अक्सर कटघरे में रहती हैं? मसला केवल कोविशील्ड का नहीं है, फार्मा कंपनियों को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं, उसके बाद भी जांच एजेंसियां कोई ठोस कारवाई क्यों नहीं करती हैं?

कोई भी राजनीतिक दल हो उसके प्रमुख लोगों को जेल में डाल देने से समान अवसर कैसे हो गये, या फिर चुनाव के समय किसी भी दल के बैंक खातों को फ्रीज कर देने के बाद कैसी समानता? आसान शब्दों में कहें तो यह अधिनायकवाद है, जहां शासन और सत्ता का हर अंग और कर्तव्य केवल एक व्यक्ति, एक दल, एक विचारधारा, तक सीमित हो जाता है। और उसका समर्थन करने वालों को केवल सत्ता ही सर्वोपरी लगती है। इसको लागू करने वाला दल देश, देशभक्ति के नाम पर सबको एक ही डंडे से हांकता है, और मानता है कि जो वह कर रहा है सही है।

सुल्तानपुर गवाडिया से लखनऊ तक महुवारिया रोड पर वाराणसी राजमार्ग से शहर तक पैदल चलना मुश्किल है । मौवरिया सड़क पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है और गड्ढों में बदल गई है । इस सड़क पर जल निकासी की कमी के कारण जगह - जगह जलभराव के कारण पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है । यह सड़क लगभग एक दशक पहले नगर पालिका द्वारा बनाई गई थी , लेकिन नाली के अभाव में जलभराव के कारण यह गड्ढे में बदल गई और जर्जर हो गई ।

मरम्मत के पांचवें दिन गोमती नदी पर बना पुल टूट गया । सुल्तानपुर तांडवांडा राजमार्ग के तांतिया नगर गोमती पुल की मरम्मत में तकनीकी विफलता मरम्मत के पांचवें दिन गोमती नदी पुल की चमक भी टूट गई । छठी बार टूटा पुल का हिस्सा , इतनी खराब हुई मरम्मत सूचना पर प्रशासन ने अनमपानन रोड पर यातायात का मार्ग परिवर्तित कर दिया । थांटिया नगर घुमती नदी पुल मार्ग परिवर्तन के कारण रात भर अवरुद्ध रहा । एक साल में यह छठी बार है जब पुल टूटा है । चौथे दरार पर , एनएचआई ने लगभग छह महीने पहले पुल का पूरा विस्तार पूरा कर लिया था । नई शरीयत की छत को फिर से तोड़कर बनाया गया और छठे महीने में इसे तोड़ दिया गया । लगभग एक पखवाड़े तक मरम्मत कार्य के बाद , 1 मार्च को पुल पर यातायात शुरू हो गया । पिछले बुधवार की रात , जोड़ के पास किया गया आधा मरम्मत कार्य फिर से पूरी तरह से टूट गया था । प्रशासन सत्ता में आया ।

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

एडीआर संस्था ने अपनी एक और रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में राजनीतिक पार्टियों की कमाई और खर्च का उल्लेख है। यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे राजनीतिक पार्टियां अपने विस्तार और सत्ता में बने रहने के लिए बड़े पैमाने पर खर्च करती हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश के सबसे बड़े सत्ता धारी दल ने बीते वित्तीय वर्ष में बेहिसाब कमाई की और इसी तरह खर्च भी किया। इस रिपोर्ट में 6 पार्टियों की आय और व्यय के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, सीपीआई एम और बीएसपी और एनपीईपी शामिल हैं। दोस्तों, *---- आपको क्या लगता है, कि चुनाव लडने पर केवल राजनीतिक दलों की महत्ता कितनी जरूरी है, या फिर आम आदमी की भूमिका भी इसमें होनी चाहिए? *---- चुनाव आयोग द्वारा लगाई गई खर्च की सीमा के दायेंरें में राजनीतिक दलों को भी लाना चाहिए? *---- सक्रिय लोकतंत्र में आम जनता को केवल वोट देने तक ही क्यों महदूद रखा जाए?

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला सुल्तानपुर से महताब अहमद , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि हर घर जल योजना के तहत पाइप डाला जा रहा है , जिसके लिए गड्ढे किये गए है। उन गड्ढों के कारण लोगों को आने जाने में परेशानी हो रही है।

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.