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आधुनिक समय में पृथ्वी पर पर्यावरण का बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है। यह नुकसान सीधे मनुष्यों द्वारा किया जाएगा। समय के साथ वाहनों की संख्या बढ़ने से पर्यावरण पूरी तरह से मनुष्यों द्वारा प्रदूषित हो जाएगा। एक व्यक्ति के पास ये तीन चौंसठ पचास-पाँच गाड़ियाँ हैं, भले ही उसे केवल एक की आवश्यकता हो, लेकिन वह इसमें कई गाड़ियाँ रखता है। पर्यावरण को इस तरह से विकसित करना होगा कि आधुनिक युग में जो खेती हो रही है, मिट्टी की खेती करते समय आधुनिक रसायनों का उपयोग किया जा रहा है। अधिकांश किसानों ने रसायनों का उपयोग करना शुरू कर दिया है। मिट्टी भी दूषित हो रही है जिससे इसकी उत्पादन क्षमता बढ़ रही है और इसलिए इससे जो कुछ भी उत्पन्न हो रहा है वह भी पूरी तरह से दूषित हो रहा है जो मानव स्वास्थ्य के लिए पूरी तरह से हानिकारक है। इस तरह पृथ्वी पर कारखाने लगाए जा रहे हैं, जिससे लोग कई रसायनों का उपयोग करते हैं, कई रसायन भी निकलते हैं, जो पर्यावरण को पूरी तरह से प्रदूषित कर रहे हैं। इस तरह, जब कारखानों से गंदा पानी निकलता है, तो उसे समुद्र या नदियों में छोड़ दिया जाता है, जिससे पानी भी दूषित हो रहा है। यह योजनाबद्ध तरीके से किया जाना चाहिए, यह पर्यावरण के अनुकूल तरीके से किया जाना चाहिए, यानी जो भी काम किया जाए, वह पूरी तरह से यह समझकर किया जाना चाहिए कि पर्यावरण पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, अगर पर्यावरण बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है।

अपनी इच्छानुसार पेड़ लगाने से हमें कई लाभ होते हैं। ऑक्सीजन पेड़ों द्वारा प्रदान की जाती है क्योंकि हर कोई जानता है कि पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं। ऑक्सीजन मनुष्यों के लिए आवश्यक है। प्राणियों के लिए ऑक्सीजन आवश्यक है। इस तरह हमें पेड़-पौधों से फल, रक्त वाहिकाएं और लकड़ी भी मिलती है। यह वनों की कटाई को रोककर पर्यावरण को साफ करने के लिए पक्षियों और जानवरों के लिए एक आश्रय भी बन जाता है। इस तरह, एक पेड़ लगाने से बहुत लाभ होता है।

उत्तरप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से फकरुद्दीन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलाओं को हमें घरेलु हिंसा के बारे में जागरूक करना होगा

उत्तरप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से फकरुद्दीन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि चुनाव लड़ने से पहले लोगों के पास जाने से पहले घोषणापत्र जारी करना चाहिए। वह जानती हैं कि लोगों के लिए चुनाव जीतने के बाद क्या करना है या क्या करना है या वह एक घोषणापत्र के माध्यम से लोगों को बताती हैं लेकिन महाराष्ट्र के एक गाँव में। ऐसे समूह हैं जिन्होंने अपना घोषणापत्र जारी किया है यानी लोगों द्वारा घोषणापत्र राजनीतिक दलों को जारी किया गया है कि आप यह काम तभी करेंगे।

उत्तरप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से फकरुद्दीन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देश में लैंगिक असमानता अधिक है, जहां महिलाओं को सभी क्षेत्रों में पुरुषों के बराबर नहीं माना जाता है। चाहे वह नौकरी, शिक्षा या किसी भी क्षेत्र में हो, उनके साथ असमानता का व्यवहार किया जाता है, यानी अगर नौकरी में महिलाओं और पुरुषों के लिए समान पद हैं, तो वहाँ महिलाओं को कम और पुरुषों को अधिक वेतन दिया जाता है।

उत्तरप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से फकरुद्दीन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि लैंगिक असमानता का सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि महिलाएं अनपढ़ हैं और जब उनके अधिकारों की बात आती है तो महिलाएं पूरी तरह से शिक्षित नहीं होती हैं। केवल अगर वे समझते कि वे लैंगिक असमानता को दूर कर सकते हैं, साथ ही जब पुरुषों के बच्चे होते हैं और लड़कों को ऐसी शिक्षा दी जाती है। जब हम शुरू से ही महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में और पुरुषों को महिलाओं का सम्मान करने के बारे में सिखाते हैं तो वे महिलाओं का सम्मान कैसे कर सकते हैं? इस लैंगिक असमानता को धीरे-धीरे कम किया जा सकता है, इसे दूर करने के लिए सबसे पहले महिलाओं की शिक्षा पर जोर दिया जाना चाहिए ताकि वे अपने अधिकारों को जान सकें। क्षैतिज या लैंगिक असमानता को समाप्त किया गया है आर्थिक क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना महिलाओं का वित्तीय सशक्तिकरण उन्हें आर्थिक रूप से आगे बढ़ने में मदद करना

उत्तरप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर से फकरुद्दीन मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलाओं को हर क्षेत्र में आरक्षण मिल रहा है लेकिन वह आरक्षण महिलाओं का नाम या महिलाओं की पहचान पूरी तरह से रसोई में भी छिपी रहती है, जैसे कि मुख्यमंत्री का चुनाव, उसमें आरक्षण होता है, यहां तक कि महिलाओं के लिए भी। जिस गाँव में महिला आरक्षण है, वहाँ सीटों का आरक्षण है, वहाँ महिलाएं खड़ी हैं, लेकिन जब वह जीतती है, तो काम पूरी तरह से उसके पति का भाई या घर वाला कोई व्यक्ति होता है। ताकि महिला की पहचान छूट जाए, महिला कहाँ गई है, कहाँ नहीं गई है, इससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। इसी तरह भारत में हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है, लेकिन उनकी पहल की जा रही है। महिलाएं शिक्षित होती हैं, विशेष रूप से गाँवों और शहरों में, और शिक्षित होकर, वे अपने अधिकारों को जानती हैं। वे जानते हैं कि क्या करना है या नहीं करना है, लेकिन गाँव की महिलाएं अभी भी पिछड़ी हुई हैं। इस तरह उन्हें मान्यता मिलती है, यानी उनकी असली पहचान को दबाया जाता है, इसलिए इस पहचान को ऊपर उठाना पड़ता है, तभी देश आगे बढ़ सकता है।