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उत्तर प्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से फकरुद्दीन मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है की यह मुद्दा विपक्ष में उठाया गया है , सरकार की गरीबी , इसलिए समय - समय पर आंकड़े जारी किए जाते हैं । हाल ही की तरह लोगों को मुफ्त राशन बांटा जा रहा है और इसे अगले पांच साल तक बांटा जाएगा या बजट में इसकी घोषणा की गई है , लेकिन क्या राशन देना ही गरीबी दूर करने का एकमात्र तरीका है ? यह संभव नहीं है कि राशन देने से लगड़ी भी पूरी तरह से खत्म हो जाएगी क्योंकि राशन के साथ - साथ शिक्षा , स्वास्थ्य जैसी कई अन्य चीजें भी हैं , जिनकी उन्हें अपनी गरीबी दूर करने की आवश्यकता होगी । भारत सरकार के लिए केवल राशन देने से भारत गरीब मुक्त हो जाएगा और जमीनी स्तर पर राशन या राशन की उपलब्धता देखना असंभव है । यदि आप किसी भी राशन की दुकान पर जाते हैं और राशन की गुणवत्ता की जांच करते हैं , तो आप पाएंगे कि राशन की गुणवत्ता सही नहीं है । लोगों का स्वास्थ्य भी बिगड़ सकता है , इसलिए उन्हें शिक्षा और स्वास्थ्य प्रदान करने के अलावा अकेले राशन देना गरीबी उन्मूलन का मुख्य कारण नहीं है । मनरेगा गाँव के स्तर पर चलती है , लेकिन मनरेगा की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है क्योंकि लोगों को काम के दिनों की निश्चित संख्या नहीं मिल पा रही है और भारत सरकार अपना बजट कम कर रही है । जब लोगों को काम नहीं मिलेगा तो उनकी गरीबी बढ़ेगी और मुद्रास्फीति अपने चरम पर होगी । मुद्रास्फीति बढ़ रही है । लोगों की आय कम हो रही है । लोग अपनी रोजी - रोटी कमाने में सक्षम नहीं हैं ।

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उत्तरप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर से सहनाज मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया किसी भी माता - पिता के लिए बच्चे को अच्छी परवरिश देना आसान नहीं होता इसलिए उन्हें अपने बच्चों को खुद से पहले और उसके बाद रखना होगा । आज के माता - पिता अपने काम और जिम्मेदारियों में बहुत व्यस्त हैं और उनके पास अपने बच्चे के साथ समय बिताने का समय नहीं है , जो बच्चों के लिए बिल्कुल गलत है ।माता - पिता को बच्चों के साथ बात करना बहुत जरूरी है उनको अपने बच्चों के लिए समय निकालना चाहिए उनसे बात करना चाहिए और उनकी बात सुनना चाहिए।

उत्तरप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर से संजना मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि हर माता - पिता चाहते हैं की बच्चे पढ़ लिख कर जीवन में सफलता प्राप्त करें।इसलिए माता पिता बच्चों को पढ़ने के लिए बैठा देते हैं। ऐसा हमे नहीं करना चाहिए। बच्चों को पढ़ाई के साथ साथ खेलने का भी समय देना चाहिए

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